जहां आज कई देश आज़ाद तो कई लोगो को पूरी तरह आज़ाद किया हुआ तो वही कई जिले है जहा आज भी लोग परेशान और वो अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी नहीं जी पा रहे है।
हम बात कर रहे है जींद जिले की जिसको धार्मिक स्थल माना जाता है। लेकिन यहाँ भी उच्च जाति और दबंग लोगो द्वारा दलितों को मारा पीटा जाता है तो वही उन लोगो का खाना भी बंद कर दिया जाता है जींद जिले के उचाना विधानसभा क्षेत्र के छातर गांव में एक दलित युवक की पिटाई करने वाले सवर्ण जाति के युवक की शिकायत पुलिस से करने पर 150 दलित परिवारों का गत 15 दिन से सामाजिक बहिष्कार करने का मामला सामने आया है।

आरोप है कि दंबगों ने पंचायत कर बिना शिकायत वापस लिए जाने तक बहिष्कार जारी रखने का फैसला किया है। जानकारी के मुताबिक, इन 150 दलित परिवारों को ना तो खेतों में जाने दिया जा रहा है, ना ही गांव के किसी अन्य मोहल्ले में उन्हें जाने की इजाजत है और ना ही दुकानदार उन्हें सामान दे रहे हैं।
आपको बता दे की पुलिस अधीक्षक एसपी वसीम द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मामला पुलिस के संज्ञान में है और उचाना के एसडीएम व डीएसपी को जांच के लिए कई बार गांव भेजा जा चुका है।

उन्होंने बताया कि गांव में पुलिस की तैनाती की गई है और पुलिस मामले पर नजर बनाए हुए है।दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार खत्म कराने के लिए पुलिस द्वारा कार्रवाई किए जाने के सवाल पर
हालांकि एसपी ने कोई माकूल जवाब नहीं दिया। सामाजिक कार्यकर्ता एवं खापड़ गांव निवासी दिनेश ने मुख्यमंत्री से मामले की लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
मांगु बागड मोहल्ले के 70 वर्षीय बुजुर्ग लहरी सिंह ने बताया कि 10 सितंबर को गुरमीत खेल मेले में कबड्डी मैच देखने गया। वहां उसके साथ गांव के राजेश, पुत्र बिल्लू और उसके कई साथियों ने मारपीट की।

गुरमीत ने मारपीट की शिकायत पुलिस से की जिसके बाद आरोपी युवकों के परिजन गांव के कुछ लोगों के साथ मोहल्ले में आए और धमकी दी और गुरमीत से मामला वापस लेने को कहा। लहरी सिंह ने बताया कि लगातार दबाव बनाए जाने से तंग आकर गुरमीत ने शिकायत वापस लेने से इनकार कर दिया।
इसके बाद 26 सितंबर को गांव की सामूहिक पंचायत हुई। इस पंचायत में गुरमीत के पूरे मोहल्ले मांगु बागड़ का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया। उन्होंने बताया कि उस दिन के बाद से उन्हें खेतों में भी नहीं जाने दिया जा रहा।

मोहल्ले के ही प्रवीण कुमार (32) ने बताया कि गुरमीत की शिकायत के बाद पुलिस ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम में मामला दर्ज कर आरोपी युवक राजेश को हिरासत में ले लिया जिससे गांव की अगड़ी जातियों के लोग और नाराज हो गए।