सुप्रीम कोर्ट ने अरावली वन क्षेत्र में बने अवैध निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे। वन विभाग की तरफ से फार्म हाउस और बैंक्वेट हॉल की कुछ दीवारें ढहाकर कार्यवाही की औपचारिकता पूरी कर दी है। 3 महीने पहले की गई कार्यवाही के दौरान न सिर्फ तोड़फोड़ में अनियमितता बरती गई, बल्कि पूरी तरह से अवैध निर्माण भी नहीं ढहाए गए। आज भी इन फार्म हाउसों का स्ट्रक्चर वैसे का वैसा मौजूद है।
तोड़फोड़ से निकला वेस्ट भी वन विभाग ने नहीं हटाया और न ही उस जमीन को वन क्षेत्र में तब्दील किया। वहीं दूसरी तरफ फिर से कार्यक्रमों के आयोजन होने लगे हैं और बुकिंग भी शुरू हो गई है।

23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए आदेश जारी कर दिए थे। जिसके बाद वन विभाग ने एक आंकड़ा जारी करते हुए बताया था कि 5 हजार हेक्टेयर जमीन फरीदाबाद में वन क्षेत्र के तहत आती है। जिसमें से 500 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जे हैं।

इनमें सबसे ज्यादा अवैध कब्जे फार्म हाउस के रूप में हैं। इन्हें हटाने की कार्यवाही शुरू करने से पहले ड्रोन सर्वे भी कराया गया था लेकिन आज तक ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट वन विभाग के पास नहीं आई। 23 जुलाई से लेकर अब तक महज 14 अवैध निर्माणों को वन विभाग और नगर निगम ने ध्वस्त किया है जबकि 120 से ज्यादा अवैध निर्माण आज भी अरावली में बने हैं।

सरकार पीएलपीए 1900 बिल लाकर इन अवैध निर्माण को फॉरेस्ट के दायरे से बाहर करने की तैयारी कर रही है। पिछली सुनवाई में भी सरकार ने कोर्ट को कहा है कि अरावली का हिस्सा गैर मुमकिन पहाड़ है। ये जंगल में नहीं आता है।

लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जब सरकार गैर मुमकिन पहाड़ मान रही है, तो कांत एनक्लेव और खोरी में बसे लोगों को क्यों नहीं बचाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें हटाने के आदेश दिए थे।
जानकारी के अनुसार 3 महीने पहले नगर निगम और वन विभाग ने जिन 10 फार्म हाउस व बैंक्वेट हॉल तोड़ने की बात कही थी, वे आज भी वैसे के वैसे ही हैं। उनमें गेट लगा हुआ है, रात में कार्यक्रम भी होते हैं और शादियों के लिए बुकिंग भी ली जा रही है।

वन विभाग डीएफओ राजकुमार का कहना है कि अगर तोड़े गए फार्म हाउस मालिक अपने फार्म हाउस का फिर से प्रयोग कर रहे हैं तो इनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। रेंज ऑफिसरों को बोल कर एक बार जांच करवा लेते हैं।