प्रदूषण का लेवल दिन–प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हरियाणा सरकार ने प्रदूषण की समस्या को देखते हुए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। राज्य में अब केवल पीएनजी (पाइप्ड प्राकृतिक गैस) व सीएनजी (संपीडित प्राकृतिक गैस) से संचालित होने वाले उद्योग ही स्थापित हो सकेंगे। नई औद्योगिक इकाई स्थापित करने वाले उद्यमियाें को शपथपत्र देना होगा कि वह डीजल और कोयला ईंधन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कड़ी नजर रहेगी।
इसके अलावा पराली को लेकर भी सरकार ने एक प्रोजेक्ट भी तैयार किया है जिसकी शुरुआत पानीपत में हो चुकी है।
सर्दियों में हर साल प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह फैसला लिया है। अधिक धुआं उत्सर्जित करने वाली पुरानी औद्योगिक इकाइयों पर भी बोर्ड की कड़ी नजर है। सभी उद्योगों को पीएनजी सीएनजी सहित पर्यावरण अनुकूल संसाधनों का इस्तेमाल करना होगा।
डीजल और कोयला का इस्तेमाल नहीं करने का शपथपत्र देने पर मिलेगा लाइसेंस
बढ़ते प्रदूषण के लिए केवल वाहनों से निकलता धुआं और निर्माण स्थलों पर उड़ती धूल ही नहीं बल्कि औद्योगिक इकाइयां भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक एक्शन प्लान तैयार किया है। सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश भर में सीएनजी पंप लगाने की कवायद शुरू की गई है।
साथ ही इलेक्ट्रिकल वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नए उद्योगों में ग्रीन फ्यूल (स्वच्छ ईंधन) के प्रयोग की गारंटी पर ही नए लाइसेंस दिए जाएंगे। डीजल और कोयले का इस्तेमाल नहीं करने का शपथपत्र देना होगा उसके बाद ही औद्योगिक इकाइयों को लाइसेंस दिया जाएगा।
ग्रीन फ्यूल से सुधरेगी वायु गुणवत्ता
प्रदेश भर में छोटी-बड़ी करीब 16 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें से 13 हजार छोटी इकाइयां हैं तो तीन हजार बड़े व मध्यम दर्जे के उद्योग। उद्योगों में ग्रीन फ्यूल अनिवार्य किए जाने से वायु की गुणवत्ता सुधरेगी। चूंकि हर वर्ष धान कटाई का सीजन शुरू होते ही पराली (धान के अवशेष) जलाने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। इसलिए इस समस्या को देखते हुए पराली से बिजली पैदा करने की यूनिट लगाने का भी प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। ट्रायल के तौर पर पानीपत से इसकी शुरूआत हो चुकी है।
पुरानी औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी नजर
प्रदेश भर की 16 हजार औद्योगिक इकाइयों में से 50 फीसद से ज्यादा में धुआं उत्सर्जित होता है। खासकर पानीपत, गुरुग्राम, सोनीपत, फरीदाबाद, रोहतक, झज्जर व जींद में ऐसे उद्योगों की संख्या ज्यादा है। इनमें कुछ इकाइयां पंजीकृत हैं तो कुछ अवैध रूप से चल रही हैं।
इनमें तारकोल, टायर जलाने, भट्ठे, क्रशर व कोयला बनाने वाली इकाइयां शामिल हैं जो वायु और जल दोनों प्रकार के प्रदूषण फैलाती हैं। अधिक धुआं उत्सर्जित करने वाली इकाइयों पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी नजर बनाए हुए है।
NCR के लिए अनिवार्य होगा ग्रीन फ्यूल
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चेयरमैन डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक रोडमैप तैयार किया गया है। अब नए उद्योगों की स्थापना, खासकर एनसीआर के लिए ग्रीन फ्यूल अनिवार्य किया गया है। प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी का भी अध्ययन किया जा रहा है। पुराने वाहनों पर अंकुश से प्रदूषण काफी हद तक कम होगा।