डकैती का दोषी 10 साल की सजा होने के बाद परोल पर छूटा था। समय पर वापस जेल नहीं गया तो साल 2006 में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। गुरुग्राम के उद्योग विहार थाना पुलिस, क्राइम ब्रांच की टीमें उसे ढूंढती रही। कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी का गठन हुआ। करीब 200 से अधिक बार बिहार समेत अन्य इलाकों में जाकर पुलिस उसे तलाश करती रही। लेकिन 15 साल से वह उद्योग विहार थाने से महज एक किमी दूर ही किराये पर रह रहा था।
बिहार नालंदा के मूल निवासी आरोपी सुनील को अब उद्योग विहार थाने के इंस्पेक्टर दलबीर ने अरेस्ट किया है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, सेक्टर-21 निवासी डॉ. पवन कुमार यादव अपने घर में ही क्लिनिक चलाते थे।
2 अगस्त से 2003 को 5 बदमाशों ने उन्हें पत्नी व बेटे को बंधक बनाकर डकैती की वारदात की। इनमें से दो बदमाश 1 दिन पहले भी उनके क्लिनिक पर दवा लेने के बहाने से आए थे।
उद्योग विहार थाना में साजिश के तहत डकैती की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने मामले में कुल 6 आरोपितों को अरेस्ट किया। इनमें से 5 को साल 2005 में सेशन कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई थी।
कुछ महीने बाद बिहार नालंदा के मूल निवासी सुनील को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी और उसकी सजा भी 3 साल कम हो गई थी लेकिन, परोल की अवधि के बाद वो वापस जेल नहीं पहुंचा। साल 2006 में कोर्ट ने उसे भगोड़ा करार दे दिया था। उद्योग विहार थाने के इंस्पेक्टर दलबीर ने बताया कि 3 बार बिहार जा चुके थे।