आपको बता दें दिल्ली एनसीआर में हरियाणा के जितने भी जिले आते हैं, वह सभी प्रदेश के लिए अभी परेशानी बने हुए हैं। राज्य सरकार अपने बहुत से जिलों को एनसीआर से बाहर निकलवाने के काम में जुटी हुई है। इसके लिए लगातार केंद्र सरकार एवं एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को पत्र लिखा जा रहा है। हरियाणा के 13 जिले एनसीआर के अधीन है जिस वजह से उन पर हमेशा प्रतिबंधों की तलवार लटकी रहती है। इससे जहां लोगों के धंधे चौपट हो रहे हैं, वहीं 10 और 15 साल पुराने वाहन भी हजारों की संख्या में कंडम हो रहे हैं।
इस वजह से प्रदेश के लोग काफी परेशान हैं और सरकार पर दबाव बनाया हुआ है कि वह कम से कम अपने 9 जिलों को एनसीआर से बाहर निकलवा सकें। पहले हरियाणा के जिलों को दिल्ली एनसीआर में इसलिए शामिल करवाया गया था, ताकि इन शहरों का विकास हो सके।

आपको बता दे, मगर अब एनसीआर में शामिल जिले हरियाणा के लिए परेशानी बन चुके हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण की मार जोकि सबसे अधिक हरियाणा के इन जिलों पर पड़ रही है।

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देश पर हरियाणा के 13 जिलों में सबसे अधिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। जिस वजह से ईंट के भट्टों का उद्योग, करेसर, बजरी खनन एवं प्रतिबंधित वाहन सबसे बड़ी मुसीबत बन गए हैं। सरकार अब किसी भी तरह से एनसीआर से कम से कम 9 जिलों को बाहर निकलवाना चाहती है ताकि हरियाणा के उद्योग को वापस ठीक करा जा सके।

इसके साथ ही प्रतिबंध की मार झेल रहे 10 से 15 साल पुराने वाहन को बचाया जा सके। प्रदेश में ऐसे लाखों वाहन है जो इस आदेश की वजह से मुश्किल में आ गए हैं और कंडम हो चुके हैं।

यदि केंद्र सरकार ने हरियाणा के इस प्रस्ताव को माना तभी जहां ईंट के भट्टे फिर से चल सकेंगे वहीं करें सर रहता खनन का काम भी दो बार से पटरी पर आएगा इससे सबसे ज्यादा लाभ उन लोगों को होगा जिनके वाहन कम होने की स्थिति में है।

आपको पता दें जो 13 जिले एनसीआर में शामिल है उनमें गुरु ग्राम, फरीदाबाद, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल, चरखी दादरी, जींद, नारनोल महेंद्रगढ़, पानीपत, भिवानी, पलवल, झज्जर और रोहतक है। ऐसा ही हरियाणा के करीब 63% क्षेत्र एनसीआर में आता है।

इन सभी जिलो में एनसीआर के तहत बहुत सारी पाबंदियां लागू होती है। अब राज्य सरकार इनमें से गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और बहादुरगढ़ को छोड़कर बाकी सब जिलों को बाहर लाना चाहती है।

इसी पर हरियाणा सरकार का कहना है कि दिल्ली के राजघाट को सेंटर मानते हुए उसके 100 मीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र ही एनसीआर में शामिल किए जाएं। एनसीआर की कुल सीमा करीब 55000 किलोमीटर तक फैली हुई है, जब पाबंदियां लगती हैं तो बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में हरियाणा के इस प्रस्ताव को माना जाएगा और बहुत से जिले एनसीआर से बाहर किए जाएंगे। जिससे प्रदेश के हजारों लोगों को बहुत राहत मिलेगी। जिनके वाहन कंडम होते जा रहे हैं वह बच जाएंगे।