खुद पर भरोसा हो तो सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कल्पना सरोज ने। गरीब परिवार में जन्मी कल्पना आज करोड़पति हैं। वे आज 700 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं। कल्पना करोड़ों का टर्नओवर देने वाली कंपनी की चेयरपर्सन और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं। कल्पना का जन्म सूखे का शिकार रह चुके महाराष्ट्र के ‘विदर्भ’ में हुआ था। घर की माली हालात खराब थी।
जिसके कारण कल्पना गोबर के उपले बनाकर बेचा करती थीं। 12 साल की उम्र में ही कल्पना की शादी उनसे 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई। जिसके कारण कल्पना विदर्भ से मुंबई की झोंपड़ पट्टी में आ पहुंची।

शादी होने के कारण कल्पना की पढ़ाई थम गई। ससुराल में घरेलू कामकाज में जरा सी चूक पर कल्पना की रोज पिटाई होती थी।

इस पूरे घटनाक्रम से शरीर पर जख्म पड़ चुके थे और जीने की ताकत खत्म हो चुकी थी। एक रोज इस नर्क से भागकर कल्पना अपने घर जा पहुंचीं। ससुराल पहुंचने की सजा कल्पना के साथ-साथ उसके परिवार को मिली।

जिसके कारण पंचायत ने परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया। जिसके बाद कल्पना को जिंदगी के सभी रास्ते भी बंद नजर आने लगे। उन्होंने तीन बोतल कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की लेकिन रिश्ते की एक महिला ने उसे बचा लिया।

कल्पना बताती हैं कि जान देने की कोशिश उसकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ लेकर आई। ‘मैंने सोचा कि मैं क्यों जान दे रही हूं, किसके लिए? क्यों न मैं अपने लिए जिऊं, कुछ बड़ा पाने की सोचूं, कम से कम कोशिश तो कर ही सकती हूं.’

16 साल की उम्र में कल्पना फिर मुम्बई लौट आई, लेकिन इस बार पिटने के लिए नहीं एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए। मुम्बई पहुंची कल्पना को हुनर के नाम पर कपड़े सिलने आते थे और उसी के बल पर उसने एक गारमेंट कम्पनी में नौकरी कर ली। यहां एक दिन में दो रुपए की मजदूरी मिलती थी। जो बेहद कम थी।

सिलाई से ही धीरे धीरे कल्पना जी ने अपना बिज़नेस को बड़ा किया और मुकाम हासिल किया। इस दौरान उन्होंने दूसरी शादी की लेकिन उनके पति का ज्यादा दिन तक साथ नहीं रहा। फिलहाल उनके दो बच्चे है जिनके साथ वो खुशी- खुशी रहती है।