कनाडा में भारत का सिर ऊंचा करने वाले सुरेंद्र पाल राठौर ने अपने संघर्ष के दम पर सिटी आफ विलियम लेक में बतौर मेयर का पद हासिल किया है। भारतीय के लिए गर्व की बात यह रही कि राठौर ने अपना राजनीतिक सफर जारी रखा, जिसके चलते 22 साल बाद मेयर बन गए।

दैनिक जागरण को बातचीत में राठौर ने बताया कि कनाडा में किसी भारतीय ने इतना लंबा राजनीतिक सफर तय नहीं किया है। कनाडा में उनका जीवन संघर्षमय रहा और इस दौरान कई उतार चढ़ाव सुरेंद्र पाल ने देखे। लेकिन मेहनत का दामन नहीं छोड़ा और आखिरकार वह मुकाम हासिल कर लिया। सुरेंद्र पाल राठौर के पिता कर्नल अवतार सिंह अंबाला में सेना में तैनात थे। उन दिनों सुरेंद्र पाल अपने स्वजनों के साथ स्टाफ रोड पर मकान में रहते थे।

पंजाब का रहने वाला परिवार
मूल रूप से परिवार पंजाब के फगवाड़ा का रहने वाला है। पिता अवतार सिंह सेना में कर्नल पद पर रहे, जिसके चलते उनके तबादले होते रहे। इसी दौरान सुरेंद्र अंबाला कैंट के सनातन धर्म कालेज में पढ़े और उसके बाद गांधी मेमोरियल नेशनल कालेज में दाखिला लिया। लेकिन यहां से पढ़ाई अधूरी छोड़कर उनको जाना पड़ा। राठौर जब भी अंबाला आते हैं, वे प्रो. विनय कुमार मल्होत्रा व अन्य साथियों से मिलना नहीं भूलते।
संघर्षमय रहा कनाडा में जीवन
सुरेंद्र पाल राठौर कनाडा की सिटी आफ विलियम लेक में साल 1974 में पहुंच गए थे। यहां पर उनका एक भारतीय परिवार में रिश्ता तय हो चुका था। कनाडा में पहली बार जब नौकरी मिल तो वह लकड़ी के आरा मशीन पर मिली। यहां पर दिन रात मेहनत की।

इसी दौरान बतौर इलेक्ट्रिशियन का कोर्स भी किया, जिसके बाद उनको वहां की सरकार से बतौर सर्टिफाइड इलेक्ट्रिशियन का प्रमाणपत्र भी मिल गया। इसके बाद उन्होंने बतौर फोटोग्राफर भी काम किया। इसी तरह उन्होंने करीब 46 साल तक वहां की टोल्को इंडस्ट्री में नौकरी की और वहीं से सेवानिवृत्त हो गए।

नौकरी के साथ निभाई अपनी जिम्मेदारियां
जिन दिनों सुरेंद्र पाल अपनी नौकरी कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाया। सिटी काउंसिल में वह लगातार 21 वर्षों तक शामिल होते रहे। इसके अलावा उन्होंने वहां की स्थानीय संस्थाओं के साथ जुड़कर क्षेत्र के लोगों के लिए काम किया और भारतीय समुदाय के लिए भी सरकार की कड़ी का काम किया।

इन अवार्ड व मेडल से किया जा चुका है सम्मानित
सुरेंद्र पाल राठौर को कनाडा में उनकी सेवाओं के लिए कई बार सम्मानित किया गया। इसके तहत उनको- साल 2018 में सावरन मेडल, साल 2012 में क्वीन डायमंड जुबली अवार्ड, साल 2005 में बीसी कम्युनिटी अचीवमेंट अवार्ड, साल 2002 में क्वीन गोल्ड जुबली अवार्ड तथा साल 1992 में कनाडा की 125वीं वर्षगांठ पर अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।
इन संस्थाओं से भी जुड़े रहे
राठौर ने राजनीति के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कई संस्थाओं के साथ जुड़कर भी काम किया। वेकैरिबो मेमोरियल अस्पताल की कम्यूनिटी बोर्ड से जुड़े रहे। इसी तरह कैरिबो लॉज, म्यूजियम आफ द कैरिबो शिलकान ,विलियम लेक स्टेंपेड एसोसिएशन, विलियम लेक एवं डिस्ट्रिक्ट क्रेडिट यूनियन, गुरु नानक सिख टेंपल से जुड़े और लोगों के लिए काम किया।