हरियाणा मे 3 फरवरी से Surajkund मेला शुरू हो चुका है। इस बार भी हर बार की तरह ही मेले अलग अलग प्रदेश की संस्कृति देखने को मिल रही हैं। इतने प्रदेश की संस्कृति होने के बाद भी हरियाणा की संस्कृति ने मेले में अपनी अलग ही पहचान बनाई हुई हैं।

दरसरल Surajkund मेले में इस बार भी हर बार की तरह हरियाणा का “आपणा घर” बना हुआ हैं। यहां पर हरियाणवी पगड़ी पर्यटकों के बीच में विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। यहां पर पर्यटकों के लिए पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ का सेटअप बनाया हुआ है।
इस पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ सेटअप पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी आ कर फोटो खिंचवा रहे हैं। इस बात की जानकारी विरासत के निदेशक डा. महासिंह पूनिया ने दी है, उन्होंने बताया कि,” हरियाणा की पगड़ी को International Surajkund Craft Fair में खूब लोकप्रियता हासिल हो रही है।

ज्यादातर पर्यटक पगड़ी बांधकर,हुक्के के साथ, हरियाणवी दरवाजों के साथ सेल्फी लेंकर हरियाणा की लोक सांस्कृतिक से जुड़ रहें हैं। हरियाणवी पगड़ी इतनी प्रसिद्ध हो चुकी है कि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी Surajkund मेले का उद्घाटन हरियाणवी पगड़ी बांधकर ही किया था।
जानकारी के लिए बता दें कि हरयाणवी पगड़ी का इतिहास हजारों साल पुराना है। हरयाणवी जीवन में पगड़ी का एक विशेष महत्व है। हरियाणा के खादर, बांगर, बागड़, अहीरवाल, बृज, मेवात, कोरवी क्षेत्र के सभी लोग आपको पगड़ी पहने हुए नजर आएंगे।इसी के साथ आपको बता दें कि पगड़ी को अलग अलग नाम से भी जाना जाता हैं। जैसे पग, पाग, पग्गड़, पगड़ी, पगमंडासा, साफा, पेचा, फेंटा, खंडवा, खंडका इत्यादि।