19 मई को सरोगेट मां ने स्वास्थ्य बछड़े को जन्म दिया। बछड़े का नाम राज प्रथमा रखा गया। वहीं इस बछड़ी का वजन 23 किलो है। इस नई तकनीक के द्वारा बांध घोड़ी से भी बच्चा पैदा किया जा सकेगा।
मामला राजस्थान के बीकानेर स्थित अश्व अनुसंधान केंद्र में पशु वैज्ञानिकों ने भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से मारवाड़ी प्रजाति की पहली घोड़ी पैदा की है।
वही मारवाड़ी घोड़े की आबादी तेजी से घटती जा रही थी। इसी मुद्दे को नजर में रखते हुए भारत में घोड़े की नस्ल की घटती आबादी को बचाने के लिए आईसीएआर एनआरसीई लगन से काम कर रही है।

मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों के भ्रूण को हिम तापीय परिरक्षण करने के लिए परियोजना शुरू की गई थी।राष्ट्रीय पशुधन मिशन की एक योजना के तहत डॉक्टर यशपाल शर्मा डॉक्टर आरके देदार ने मारवाड़ी घोड़ी में सफल भ्रूण स्थानांतरित किया।
वैज्ञानिकों की टीम को बधाई देते हुए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ डीके भट्टाचार्य ने कहा कि भारत में घोड़ों की आबादी तेजी से घट रही थी। वही बांध पर और गैर प्रजनन करने वाली घोड़ी भी इसका एक कारण है। यह उन जनों पर भी लागू किया जा सकता है।

जो बांध बन की पारंपरिक उपचार प्रणाली की प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि भारत में भ्रूण स्थानांतरण प्रतियोगी की में मध्यम से उत्पादित पहली मारवाड़ी बछड़ी है। इस तकनीक से बांध घोड़ी से भी बच्चा पैदा किया जा सकेगा। साथ ही अच्छी किस्म के घोड़े तैयार करने के लिए यह तकनीक बेहद कारगर साबित होगी।