शिक्षा के क्षेत्र में देश में सबसे पिछड़े जिलों में शामिल नूंह की तस्वीर सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सरकार के दावों के बाद भी यहां के स्कूलों में अध्यापकों के पद खाली है। किसी स्कूल में दो अध्यापक 400 से 500 बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो किसी स्कूल में अध्यापक नहीं हैं। ऐसे में स्कूल का रिजल्ट कैसे बेहतर हो सकता है,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अति प्राथमिकता वाले जिले नूंह में भी शिक्षा का यह हाल होना वास्तव में परेशानी की बात है।नूंह जिले के गांव नहेदा के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में करीब 500 बच्चे प्राइमरी में हैं, जिन पर केवल 5 ही अध्यापक हैं। वही मिडिल विग में करीब 428 बच्चों पर एक भी अध्यापक है।

सरकारी स्कूलों में बच्चों को दाखिला दिलाने से अब लोग कतराने लगे हैं। एक दो नहीं बल्कि नूंह जिले के कई ऐसे स्कूल है जिनमे अध्यापक नही है।ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में गरीब लोगों के बच्चे ही पढ़ते हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि सरकारी स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा खाली पड़े पदों को भरा जाए, जिससे गरीब लोग भी अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रख सकें।

जब जिले में अध्यापकों की कमी को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत चहल से बात करनी चाही तो उन्होंने कई बार फोन करने के बावजूद भी फोन नहीं उठाया।