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दुखद: नहीं रहे उद्योगपति राहुल बजाज, 30 की उम्र में संभाली थी बजाज ऑटो की कमान

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भारत के बिलियनेयर और बजाज ग्रुप के चेयरमैन राहुल बजाज 83 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। आज बजाज ग्रुप जिन बुलंदियों को छू रही है इसमें इनका बहुत बड़ा योगदान है। पांच दशकों कंपनी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 60 के दशक में इन्होंने बजाज ग्रुप की कमान अपने हाथ में ली थी। इसके बाद इनके बेटे राजीव बजाज ने यह जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली। 2006-2010 तक राहुल बजाज राज्यसभा के सदस्य भी रहे थे। 2001 में राहुल बजाज को पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया गया।

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से अर्थशास्त्र (Economics) में ऑनर्स की डिग्री, बॉम्बे विश्वविद्यालय (Bombay University) से कानून (Law) की डिग्री और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (Harvard Business School) से एमबीए (MBA) की डिग्री हासिल की थी।

2008 में इन्होंने बजाज ऑटो को तीन यूनिट में बांट दिया था। इसमें बजाज ऑटो, फाइनेंस कंपनी, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी है। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान के एक उद्योगपति और मोहनदास करमचंद गांधी के प्रमुख समर्थक जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) के पोते थे।

पिछले साल दिया पद से इस्तीफा

1965 में बजाज ऑटो (Bajaj Auto) में उन्होंने एक कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम करना शुरू किया। बजाज को ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में विकसित करने में राहुल बजाज का महत्वपूर्ण योगदान था। पिछले साल 30 अप्रैल 2021 को राहुल बजाज ने बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। पांच दशकों से अधिक समय से वह बजाज ऑटो के प्रभारी थे।

राहुल बजाज के बाद अब बजाज ऑटो की कमान 67 वर्षीय नीरज बजाज के हाथों में है। 1965 में राहुल बजाज बजाज ऑटो के CEO बने। उस समय उनकी उम्र 30 के करीब थी। उस दौरान वह CEO का पद संभालने वाले सबसे युवा भारतीयों में से एक थे।

3 से 10,000 करोड़ का पहुंचाया कंपनी का टर्नओवर

बजाज ऑटो की कमान संभालने के बाद कंपनी ने अपने वाहनों के प्रोडक्शन की रफ्तार बढ़ाई। इस तरह यह कंपनी खुद को देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बनाने में सफल रही। 1965 में जहां इस कंपनी का टर्नओवर तीन करोड़ हुआ करता था, वहीं 2008 में यह बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये हो गया।

2005 में राहुल ने बेटे राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था। जिसके बाद से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई थी।

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