अच्छी नौकरी हर किसी की चाहत होती है। सभी युवा अपनी ज़िंदगी में अच्छी नौकरी चाहते हैं ताकि जीवन में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। आज हम ऐसे ही तीन दोस्तों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने पढ़े-लिखे होने के बावजुद भी खेती का मार्ग चुना।
दरअसल, वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के चौबेपुर क्षेत्र का गांव नारायनपुर इन दिनों तीन दोस्तों की वजह से खासा चर्चा में हैं,क्योंकि ये तीनों यहां के ग्रामीणों को नए युग की कृषि सिखा रहे हैं।
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गांव के ही अपने मकान के बाहर खुद से बनाए गए छोटे तालाबों में युवा पढ़े-लिखे किसान श्वेतांक, रोहित और अमित सीप की खेती कर रहे हैं।
इसके अलावा तीनों ही मधुमक्खी पालन और बकरी पालन भी कर रहे हैं।इन तीनों सफल किसानों का कहना है कि मोती की खेती की विधि पारंपरिक खेती से थोड़ी अलग होती है।
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वह एक कृषि उद्यम की मदद से मोती की खेती कर रहे हैं। युवा किसान श्वेतांक ने एमए के साथ बीएड भी कर रखा है। लेकिन अपनी नौकरी छोड़ कर मोती की खेती कर रहे हैं।
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सबसे पहले उन्होंने इंटरनेट की मदद से मोती की खेती से जुड़ी सारी जानकारीयाँ हासिल की और इसके लिए ट्रेनिंग भी ली। आपको बता दे कि रोज नए लोग जुड़ते जा रहें हैं।
उन्होंने बताया कि सीप से मोती निकालने के काम में तीन गुना तक मुनाफा होता है। इसके अलावा दो सौ लोगों को और इस साल जोड़ने का लक्ष्य है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी ने काफी कुछ सिखा दिया है।
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क्योंकि आने वाले दिनों में परिवेश काफी तेजी से बदल रहा है और ऐसे ही काम के जरिए ना केवल हम खुद के लिए आय का जरिया पैदा कर रहे हैं, बल्कि खुद को नए वातावरण में ढाल भी रहे हैं।