केवल भारत ही नहीं बल्कि यहां के लोग उनका रहन-सहन भी अनोखा है। आए दिन यहां कुछ न कुछ चीज़ें वायरल होती ही रहती हैं। कई तो बेहद हैरान कर देने वाली होती है। हाल ही में एक ऐसी ही खबर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है जिसमें एक अनोखा घर खूब सुर्खियां बटोर रहा है। हम इस घर की बनावट या किसी सामान की बात नहीं कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार यह घर एक नहीं बल्कि दो राज्यों में बंटा हुआ है। जी हां, घर के कमरे हरियाणा में हैं तो वहीं घर का आँगन राजस्थान में। यह मकान दायमा परिवार का है और दोनों राज्यों की सीमा इस घर के बीच से होकर गुजरती है।
इस घर का एक दरवाजा हरियाणा के रेवाड़ी में खुलता है तो वहीं दूसरा राजस्थान के अलवर में। इस घर के बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। आज हम आपको इस घर से जुड़ी और भी खास बातें बताने वाले हैं।
जानकारी के अनुसार यह घर दायमा परिवार का है। यहां चाचा-भतीजा एक ही छत के नीचे रहते हैं। लेकिन अलग-अलग राज्यों में। बता दें कि कृष्ण दायमा हरियाणा के धारुहेड़ा नगर पालिका के पार्षद रह चुके हैं तो वहीं उनके भतीजे हवा सिंह दायमा राजस्थान के अलवर के भिवाड़ी नगर परिषद के पार्षद हैं। दोनों ही राजनीति से जुड़े हुए हैं।
घर के सदस्यों का कहना है कि उन्हें तो अब इस तरह रहने की आदत हो गई है लेकिन जब भी कोई दूसरा व्यक्ति उनके घर के बारे में सुनता है तो वह बेहद हैरान हो जाता है। बता दें कि यह परिवार 1960 में यहां रहने आया था। हवा सिंह ने बताया कि यह जमीन आधी हरियाणा और आधी राजस्थान में थी जिसके बाद इसी पर घर बनाने का फैसला किया गया।
जानिए घर से जुड़े रोचक किस्से
बता दें कि घर के आधे सदस्यों के फोन में राजस्थान का नेटवर्क है तो वहीं आधे में हरियाणा का। इस घर में 6 वोटर हरियाणा में वोट देते हैं तो वहीं 6 वोटर राजस्थान में वोट देते हैं।
आपको बता दें कि कुछ समय पहले तो इस घर में रोमिंग भी लगती थी। लेकिन नेटवर्क की परेशानी आज भी वैसी ही है। वहीं एक बार तो घर में से भैंस चोरी हो गई थी। इसके बाद परिवार को हरियाणा और राजस्थान दोनों के चक्कर काटने पड़ गए थे।
वहीं एक बार इस घर में तेंदुआ भी घुस आया था, ऐसे में हरियाणा के वन अधिकारी आए लेकिन उन्होंने कहा कि तेंदुआ राजस्थान की सीमा में है, वह कुछ नहीं कर सकते। इसलिए परिवार ने बाद में राजस्थान के वन अधिकारियों को बुलाया। महामारी के समय में परिवार को हरियाणा और राजस्थान दोनों ही राज्यों की गाइडलाइंस का पालन करना पड़ता था।