डॉक्टर को धरती के भगवान के बराबर समझा जाता है। वे हमेशा मरीजों की सेवा को अपना प्रथम कर्तव्य मानते आए है लेकिन क्या आपने कभी एक चीज गौर की है डॉक्टर हमेशा ऑपरेशन के दौरान हरे या नीले रंग का लिबास ही क्यों पहनते हैं? अगर हम गौर से देखें तो ऑपरेशन थिएटर में या फिर अस्पतालों के कमरों में पर्दे भी हरे या नीले रंग के होते हैं।
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वहीं मास्क भी हरे रंग या नीले रंग के होते हैं। ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल तो उठता ही है कि आखिर इन दो रंगों में ऐसा क्या है जो खास है?ऐसा कहा जाता है कि पहले डॉक्टर ऑपरेशन के दौरान और सभी कर्मचारी सफेद कपड़े पहनते थे लेकिन 1914 में एक प्रभावशाली डॉक्टर ने इस पारंपरिक ड्रेस को हरे रंग में बदल दिया।
तभी से चलन बन गया और डॉक्टर हरे व नीले रंग के कपड़े पहनने लगे। हालांकि कुछ.कुछ डॉक्टर नीले रंग के भी कपड़े पहनते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि ऑपरेशन के समय डॉक्टर हरे या नीले रंग के कपड़े इसलिए पहनते हैं।
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क्योकि वह लगातार खून और मानव शरीर के अंदरूनी अंगों को देखकर मानसिक तनाव में आ सकते हैं।हरा रंग देखकर उनका दिमाग उस तनाव से मुक्त हो जाता है।
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टूडे सर्जिकल नर्स के 1998 के अंक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सर्जरी के समय डॉक्टरों ने हरे रंग का कपड़े पहनने इसलिए शुरू किए, क्योंकि ये आंखों को आराम देते हैं।
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अक्सर ऐसा होता है कि जब भी हम किसी एक रंग को लगातार देखने लगते हैं तो हमारी आंखों में अजीब सी थकान महसूस होने लगती है। हमारी आंखें सूरज या फिर किसी भी दूसरी चमकदार चीज को देख कर चौंधिया जाती हैं, लेकिन इसके तुरंत बाद अगर हम हरे रंग को देखते हैं, तो हमारी आंखों को सुकून मिलता है।