ज्यूडिशरी एक्जाम क्लियर करना हर किसी के बस की बात नहीं है। बहुत कम लोग ही इस में सफल हो पाते हैं। आज हम आपको तीन ऐसी छात्राओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने बेहद कम समय में यह मुकाम हासिल किया है। पंजाब यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी कर कुछ समय पहले ही एचसीएस ज्यूडिशरी (HCS Judiciary) को क्लियर किया है। अपनी पहली ही कोशिश में इस छात्रा ने हरियाणा ज्यूडिशरी एक्जाम में पहली रैंक हासिल की इस छात्रा का नाम श्वेता है। वर्ष 2018 में पीसीएस ज्यूडिशरी एक्जाम (PCS Judiciary Exams) क्लियर करने वाली अंजली नरवल पंजाब के मोहाली में ट्रेनिंग कर रहे हैं। उन्हें हरियाणा ज्यूडिशरी एग्जाम में 9 वीं रैंक प्राप्त हुई। वहीं तीसरी छात्रा रवनीत ने भी पहली बार में यह एग्जाम क्लियर कर अपने परिवार का नाम रोशन किया। आज हम आपको तीनों प्रतिभाशाली छात्राओं के जीवन के बारे में संक्षेप में बताएंगे।
हरियाणा सिविल सर्विसेज (ज्यूडिशियल) में अव्वल स्थान प्राप्त करने वाली रूपनगर की बेटी श्वेता शर्मा की मां प्रिया शर्मा ने कहा की बेटी ने आज पिता का सपना पूरा कर दिया। पूरा परिवार ही नहीं बल्कि पूरा रूपनगर उनकी इस सफलता पर बेहद खुश है हर कोई अपने बच्चे को उनका उदाहरण देता है।
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बता दें कि श्वेता ने अपनी शुरुआती दो क्लास एसआई देव समाज स्कूल चंडीगढ़ से, दसवीं तक शिवालिक पब्लिक स्कूल, रूपनगर (हरियाणा) से अपनी स्कूलिंग की है। इसके बाद ग्रेजुएशन के लिए उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से बीए, एलएलबी और आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ (मोहाली) से एलएलएम की पढ़ाई की है। श्वेता के पिता पवन कुमार शर्मा की हमेशा से यही तमन्ना थी की बेटी जज बने और आज भी सपना पूरा हो चुका है उनकी बेटी जज बनकर न्याय करती हैं।
107 में से केवल 9 आवेदक हुए सिलेक्ट
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बता दें कि पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉक करने के बाद उन्होंने मार्च 2019 में एग्जाम दिया था और अप्रैल में नतीजे आए तो 107 सीटों में से केवल 9 आवेदक सिलेक्ट होने के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। श्वेता भी इन 9 अभ्यार्थियों में से एक थीं। रिटायर्ड जज जस्टिस एके सिकरी की जांच के बाद आवेदकों को 30-30 ग्रेस अंक दिए गए।
राजस्थान में हो चुका था सिलेक्शन
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इसके बाद कुल 27 एप्लीकेंट सिलेक्ट हुए लेकिन इसके लिए उनको 9 महीने का इंतजार करना पड़ा श्वेता का राजस्थान में सिलेक्शन भी हो चुका है। लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर 30 फीसद ग्रेस अंक से वह हरियाणा में सिलेक्ट हो गई श्वेता को 1050 अंको में से कुल 619.75 अंक प्राप्त हुए। वह पहले से ही हरियाणा में ज्वाइन करना चाहती थी।
तैयारियों के दौरान भी करती थीं मोबाइल और टीवी का इस्तेमाल
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श्वेता ने बताया कि उन्होंने अपनी बहन के साथ वकालत की पढ़ाई शुरू की थी। आज तक उनके परिवार में किसी ने भी वकालत नहीं पड़ी दिन भर पढ़ाई करने के बाद उन्होंने यह एग्जाम दिए। अच्छे से नोट्स बनाकर सारे टॉपिक्स क्लियर किए। वह दिन-रात पढ़ाई में ही लगी रहती थी। इसके अलावा बीच-बीच में ब्रेक लेकर सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती थी। एग्जाम की तैयारी के दौरान उन्होंने टीवी देखना और मोबाइल इस्तेमाल करना भी बंद नहीं किया था।
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जज साहिबा का परिवार मूल रूप से पठानकोट पंजाब का रहने वाला है। साल 2000 में रूपनगर स्थित जेई थर्मल प्लांट में पिता पवन कुमार की तैनाती के बाद से पूरा परिवार यही शिफ्ट हो गया। श्वेता के दो भाई बहन भी हैं। बड़ी बहन पर शर्मा भी एक एडवोकेट हैं और इस समय वह कनाडा में सेटल है। भाई आशीष और श्वेता दोनों जुड़वा है।
सुप्रीम कोर्ट में जज बनने का था सपना
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पानीपत के एक छोटे से गांव के किसान सुभाष नरवाल की बेटी अंजलि नरवाल ने सुप्रीम कोर्ट में जज बनने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने खूब पढ़ाई की और पीसीएस ज्यूडिशरी का एग्जाम (PCS Judiciary Exam) क्लियर करने के बाद हरियाणा ज्यूडिशरी के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। साल 2019 में उन्होंने एग्जाम दिया वहीं पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने एलएलबी और एलएलएम में टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया। बेहतर कोचिंग और एजुकेशन के लिए पिता ने उन्हें एक दशक पहले चंडीगढ़ भेज दिया था।
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बता दें कि इससे पहले उन्होंने प्रथम प्रयास में ही यूजीसी नेट और जेआरएफ भी क्लियर कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट में ना सही लेकिन अब वह हरियाणा न्यायपालिका में जज बन ही गई।
आर्मी बैकग्राउंड से रखती हैं ताल्लुक
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आर्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखने वाली तीसरी प्रतिभाशाली छात्रा रवनीत है। बता दें कि परिवार में लगभग सभी लोग आर्मी से संबंध रखते हैं। दादा बलदेव सिंह एक रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर है। पिता वरिंदर सिंह कर्नल और मां रजनी गृहणी है। उनके ख्वाबों को आकार देने के लिए रवनीत ने कानून की पढ़ाई की इसके बाद जुडिशरी की तैयारी में जुट गई।
LLM में किया गोल्ड मेडल हासिल
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रवनीत की पढ़ाई की बात करें तो इन्होंने सेंट एन्स कॉन्वेंट स्कूल, सेक्टर 32 और गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 16 से अपनी स्कूलिंग की है। यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज (University Institute of Legal Studies) से एलएलबी कर उन्होंने सिंबायोसिस लॉ स्कूल (Symbiosis Law School), पुणे से एलएलएम में गोल्ड मेडल हासिल किया।
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यूनिवर्सिटी में चुनाव हो, विमर्श या कोई एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज, रवनीत ने मूट कोर्ट और डिबेट जैसे कंपटीशन के अलावा बाकी सभी से दूरी बनाए रखी, ताकि ज्यूडिशरी की तैयारी साथ-साथ चलती रहे। अब वह भी जज बन चुकी हैं।