देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी की मानी जाती है। हर कोई इसे पास नहीं कर पाता। लाखों लोग इसका एग्जाम देते हैं लेकिन बहुत ही कम परीक्षार्थी इसमें सफल हो पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी सफल अभ्यार्थी के बारे में बताएंगे जिसने UPSC तो नहीं लेकिन हरियाणा सिविल सेवा की परीक्षा पास कर एक नया मुकाम हासिल किया है। जिसके पिता अखबार बेचकर उसकी पढ़ाई पूरी करवाई। हरियाणा की इस बेटी ने हरियाणा सिविल सेवा की परीक्षा पास कर एक नया मुकाम हासिल किया है। अपनी सफलता का श्रेय बेटी अपने परिवार को दे रही है। बता दें कि पंचकूला के जयसिंहपुरा गांव निवासी शिवजीत भारती के पिता गुरनाम सैनी अखबार बेचते हैं। आज उनकी बेटी ने अखबारों में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। हरियाणा सिविल सेवा (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में महज 48 अभ्यर्थी पास हुए हैं, इनमें से एक शिवजीत भी हैं।
शिवजीत अपने परिवार की पहली सदस्य हैं जिसने सरकारी नौकरी हासिल की है। शिवजीत के अनुसार घर में भले ही आर्थिक तंगी का माहौल रहा हो लेकिन उनके पिता ने इस समस्या को कभी सपनों के आड़े नहीं आने दिया। उनके इस विश्वास का ही नतीजा है कि शिवजीत ने आज यह मुकाम हासिल किया है।
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शिवजीत ने साल 2015 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से गणित (ऑनर्स) में स्नातक की पढ़ाई पूरी कि है, शिवजीत इस दौरान स्कूली बच्चों को ट्यूशन देकर खर्चे उठाती रहीं।
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शिवजीत जिस गांव से आती हैं वहाँ पितृसत्ता का बोलबाला है, ऐसे में उनकी सफलता और भी खास हो जाती है। शिवजीत के पिता ने उनके कठिन परिस्थितियों के बावजूद आगे की तैयारियों के लिए दिल्ली भेजा।
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शिवजीत अभी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। शिवजीत के अनुसार यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान ही उन्होने हरियाणा सिविल सेवा के लिए आवेदन किया और पहली ही बार में यह परीक्षा पास कर ली।इस सफलता के बाद अब शिवजीत का आत्मविश्वास और बढ़ गया है। उनका मानना है कि अब वे यूपीएससी परीक्षा में भी बेहतर करेंगी।
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इस सफलता के बाद अब शिवजीत का आत्मविश्वास और बढ़ गया है। उनका मानना है कि अब वे यूपीएससी परीक्षा में भी बेहतर करेंगी। शिवजीत के पिता जहां अखबार बेंचते हैं, वहीं उनकी मां आँगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। शिवजीत तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं।
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उनकी छोटी बहन लोक प्रशासन विषय पर परास्नातक कर रही है। एक अखबार विक्रेता होने के नाते शिवजीत के पिता को बेहद कठिन परिश्रम करना पड़ता है, उन्हे एक साल में महज चार का ही अवकाश मिलता है, ऐसे में वो हर सुबह तड़के उठकर अख़बार बेंचने निकाल पड़ते हैं।