Homeकुछ भीनहीं देखा होगा पराली का ऐसा इस्तेमाल, हरियाणा की यह लड़की बनी...

नहीं देखा होगा पराली का ऐसा इस्तेमाल, हरियाणा की यह लड़की बनी मिसाल

Published on

अक्टूबर-नवंबर के समय दिल्ली एनसीआर, हरियाणा और आसपास के इलाके में प्रदूषण का स्तर बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है। फसल की कटाई के बाद खेतों में मौजूद पराली से किसान काफी परेशान हो जाते हैं। वे इसे सिर्फ एक वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में देखते हैं। इसलिए किसान अपने पूरे खेत में आग लगा देते हैं जिससे पराली जल जाए और खेत साफ हो जाए। इसके साथ ही दिवाली के दिन से गैस चेंबर में तब्दील दिल्ली-एनसीआर की मुश्किल हरियाणा-पंजाब की पराली ने और भी ज्यादा बढ़ा दी है। केंद्र सरकार की अडवाइजरी के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में दिल्ली सरकार को हेल्थ इमेरजेंसी लागू करनी पड़ी। इस बीच पहले की तरह एक बार फिर पंजाब सरकार और केंद्र के बीच राजनीतिक वाद-विवाद छिड़ गया है। ऐसे में संगरूर (पंजाब) की सत्रह वर्षीय अमनदीप कौर का एक्सपेरिमेंट पराली जलने वाले किसानों को नई राह दिखा रहा है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए माना है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह पराली जलाना है।

हालांकि उसने यह भी दावा किया है कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में 2016-18 के बीच पराली जलाने में 41 फीसदी तक कमी आई है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि पराली जलाने से रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इस पूरे मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा।

अमनदीप कौर के पिता के पास संगरूर में कुल बीस एकड़ जमीन है। इसके साथ ही, वह 25 एकड़ जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं। अमनदीप कौर को बचपन में, जब वह मात्र छह साल की थीं, तभी से सांस की बीमारी रही है। धान की कटाई के बाद पराली जलाने से उन्हे सांस लेने में और ज्यादा दिक्कत होने लगती थी।  राहत के लिए उन्होंने अपने पिता को इस बात के लिए सहमत कर लिया कि वह पराली नहीं जलाएंगे।

खेत में फसल के अवशेषों के निपटारे के लिए अब वह बीज बोने वाली मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बेटी के कहने के बाद से पराली जलाना बंद कर दिया। अमनदीप आगे बताती हैं कि वह जैसे-जैसे बड़ी होती गईं, उन्हे पराली जलाने से सेहत के नुकसान की बात समझ में आने लगी थी।

उन्होंने कृषि विज्ञान में ग्रैजुएशन किया है। जब बीज बोने वाली मशीन का इस्तेमाल होने लगा, उन्होंने खुद ट्रैक्टर चलाना भी सीख लिया। अब वही खेत की जुताई करती हैं। पराली न जलाने से खेतों की उर्वरता भी बढ़ गई है। उनके खेतों में 60 से 70 पर्सेंट कम खाद का इस्तेमाल हो रहा है। 

Latest articles

Faridabad के DPSG School ने आयोजित किया DPSG Cup, 4000 खिलाड़ियों ने लिया हिस्सा

हरियाणा को खिलाड़ियों की भूमि कहा जाता है। देश में सबसे ज्यादा पदक हरियाणा के खिलाड़ी लेकर आते हैं। खेल हमारे स्वास्थ्य के लिए...

अगर देश को बचाना है तो भाजपा को वोट दें:  Faridabad भाजपा लोकसभा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर

आप सभी जानते ही हैं अब चुनाव का विगुल बज चुका है।  सभी पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। बात करें,...

सरकारी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया में हरियाणा सरकार ने किए बड़े बदलाव, जाने क्या..

जब भी जनहित की बात आती है, तो हरियाणा सरकार कई बदलाव करते हुए नजर आती है।  इसी प्रकार से अभी सरकारी स्कूलों में...

Haryana: इस जिले की बेटी की UPSC  परीक्षा के पहले attempt में हुई थी हार,  दूसरे attempt में मारा चौंका

UPSC Results: ब्राजील से अपने माता-पिता को छोड़ एक लड़की UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए हरियाणा के फरीदाबाद जिले में...

More like this

हरियाणा के स्कूलों में शुरू हुई नई पहल, अब घर वालों को फोन पर रिजल्ट देंगे स्कूल के अध्यापक

हरियाणा में 10वीं और 12वीं में खराब रिजल्ट वाले स्कूलों के रिजल्ट को सुधारने...

हरियाणा सरकार ने रक्षाबंधन के दिन महिलाओं को दी बड़ी सौगात, किया यह ऐलान

हरियाणा सरकार ने रक्षाबंधन के दिन महिलाओं के लिए बड़ा ऐलान किया है. परिवहन...

Haryana को अब गर्मी से मिलेगी राहत,येलो अलर्ट किया जारी

हरियाणा में लगातार पड़ रही गर्मी से अब लोगों को राहत मिलने की संभावना...