भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा की राजनीति का शहंशाह कहें या चाणक्य, क्योंकि दोनों ही शब्द उनके चरित्र को दर्शाने के लिए कम है। 2009 से लेकर 2014 तक हरियाणा की कमान इन्हीं के हाथों में थी। हरियाणा की राजनीति के ये चाणक्य माने जाते हैं। आज यह हरियाणा में विपक्ष की भूमिका में है। एक बार फिर हुड्डा हरियाणा में बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। बता दें कि जल्दी ही कांग्रेस की राज्य इकाई में नए अध्यक्ष की ताजपोशी की जानी हैं। कई राजनेता इस रेस में हैं लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा फ्रंट में बने हुए हैं। इसके लिए उन्होंने तैयारियां शुरू कर दी हैं अपने आप को वह पूरी तरह से तैयार कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस हाई कमान ने हरियाणा (Haryana) की पार्टी लीडरशिप में बदलाव करने का फैसला किया है और इसी को भांपते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) ने भाग दौड़ तेज कर दी है।
हाल ही में प्रदेश के पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। इस दौरान पार्टी नेताओं ने उन्हें राज्य के हालात से अवगत कराया। इस मीटिंग में राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को मिल जुलकर राज्य में पार्टी को ऊपर उठाने का निर्देश दिया था।
पार्टी नेताओं के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश
पंजाब चुनाव तो सबको याद ही है जिसमें बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस (Congress) को भी हार झेलनी पड़ी थी। अंदरूनी फूट की वजह से पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था और उसको देखते हुए पार्टी अब कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं है। वह राज्य के सभी नेताओं के बीच हुए मतभेदों को दूर करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत
अब तक हरियाणा में केवल कांग्रेस (Congress) और इंडियन नेशनल लोकदल (Indian National Lok Dal) की सरकारें रही हैं। लेकिन 2014 में इन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद हरियाणा (Haryana) में बीजेपी की सरकार आ गई और तब से अब तक वही है। आने वाले असेंबली चुनावों (Assembly Elections) में कांग्रेस को इन पार्टियों के अलावा एक और नई पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) का भी सामना करना पड़ेगा।