मुख्यमंत्री मनोहर लाल की भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए अपनाई जा रही जीरो टोलरेंस नीति के अनुरूप हाल ही में राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी की पहली बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी, जिसमें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अपनाई जा रही नीतियों और भ्रष्टाचार के लंबित मामलों पर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं, जिनके लागू होने से प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों पर अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा कि हाई पावर कमेटी की नियमित बैठक की जाएगी और समय-समय पर विजिलेंस द्वारा दर्ज मामलों पर की जा रही कार्यवाही की समीक्षा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को भी और सुदृढ़ किया जाएगा। इसके लिए चार सेवानिवृत सीबीआई के अधिकारियों को स्टेट विजिलेंस ब्यूरो में सर्विस पर रखा गया है, जिससे अब मामलों की जांच में और तेजी आएगी।
इसके अलावा, स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का डिविजन लेवल तक भी विस्तार किया जा रहा है। एक करोड़ रुपये तक की शिकायत की जांच करने के लिए डिविजनल विजिलेंस ब्यूरो को अधिकृत किया गया है और जांच के दौरान अब उन्हें मुख्यालय स्तर से बार बार अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से संबंधित एफआईआर में जांच पूरी होने के बाद अदालत में मामले की सुनवाई के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन की मंजूरी अनिवार्य है, इसके लिए भी जल्द ही मंडल आयुक्त को अधिकृत करने के निर्णय करने के लिए महाधिवक्ता से परामर्श किया जा रहा है। इसके अलावा, अब यह प्रयास किया जा रहा है कि एम्पैनल करके दूसरे विभागों से भी मुख्य सर्तकता अधिकारी लगाये जा सकते हैं। अभी तक हर विभाग में उसी विभाग का मुख्य सर्तकता अधिकारी होता है।
कौशल ने कहा कि राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों से ही प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त अधिकारी व कर्मचारी पकड़े जा रहे हैं और उन पर उपयुक्त कार्यवाही की जा रही है। हाई पॉवर कमेटी के गठन होने से अब इन गतिविधियों में और भी तेजी आएगी।
उन्होंने कहा कि विकास की गति में तेजी लाने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के संबंध में सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ निरंतर बैठकें की जा रही हैं ताकि यह परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से पूरी हों सकें।
कौशल ने बताया कि स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश में 19 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी कार्ड बनाये जा चुके हैं और 24 अप्रैल तक सभी कार्य पूरा कर लिया जाएगा। अब प्रॉपर्टी कार्ड मिलने से ग्रामीण आंचल में रहने वाले व्यक्तियों को उनका मालिकाना हक मिलने के साथ-साथ वे अब संपत्ति की खरीद-फरोख्त करने में भी सक्षम होंगे। इसके अलावा वे अपनी संपत्तियों पर बैंकों से लोन भी ले सकेंगे।