बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनका शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी है लेकिन कुपोषण के कारण अक्सर बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता है। बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने और ‘कुपोषण मुक्त हरियाणा’ के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। हरियाणा सरकार ने इस बार महिला एवं बाल विकास विभाग को 33.7 प्रतिशत अधिक बजट आबंटन किया है जिससे कुपोषण से निपटने और महिलाओं के पोषण स्तर में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जाएगा।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ‘कुपोषण मुक्त भारत’के लिए चलाए जा रहे अभियान के बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि पोषण अभियान सिर्फ एक कार्यक्रम न होकर एक जन आंदोलन व भागीदारी है। उन्होंने अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी के सहयोग की अपील की है।

कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बच्चों को पोषण से परिपूर्ण आहार खिलाया जा रहा है। बच्चों व महिलाओं को खाने में फोर्टिफाइड आटा, चावल और दूध से लेकर कई पोषक चीजों का सेवन करवाया जा रहा है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिकाएं स्थापित की जा रही हैं।

उल्लेखनीय है कि ‘कुपोषण मुक्त हरियाणा’ के लिए प्रदेश में 4 लाख से अधिक समुदाय आधारित कार्यक्रमों का संचालन किया गया है। 2 लाख से अधिक ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आयोजित किए गए हैं।

9 हजार से अधिक योग, आयुष व पोषण वाटिकाओं की स्थापना की गई है। पोषण माह में जन आंदोलन डैशबोर्ड पर 58 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी रही जबकि पोषण पखवाड़ा में जन आंदोलन डैशबोर्ड पर 21 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।

सरकार ने बच्चों के विकास, स्वास्थ्य जांच व निगरानी के लिये लगभग 26 हजार ग्रोथ मॉनिटरिंग डिवाइस उपलब्ध करवाए हैं। पोषण अभियान को गति देने के लिए आधारभूत सुविधाओं पर लगभग 429 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है।