हरियाणा सरकार ने हल्के (माइल्ड) और स्पर्शोन्मुख (एसिम्पटोमैटिक) कोविड-19 मामलों के होम आइसोलेशन के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इस सम्बंध में आज यहां यह जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिन रोगियों को चिकित्सकीय रूप से माइल्ड या स्पर्शोन्मुख (एसिम्पटोमैटिक) बताया जाता है, उन्हें होम आइसोलेशन करने की सिफारिश की गई है।
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प्रवक्ता ने बताया कि प्रयोगशाला द्वारा पुष्ट स्पर्शोन्मुख मामलों में मरीज में बीमारी का कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता और ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 प्रतिशत से अधिक रहता है। इसी प्रकार, चिकित्सकीय रूप से घोषित माइल्ड मामलों में मरीज को सांस की तकलीफ के बिना ऊपरी श्वसन तंत्र के लक्षण और बुखार रहता है तथा उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 प्रतिशत से अधिक रहता है।
होम आइसोलेशन के लिए पात्र मरीज
प्रवक्ता ने कहा कि उपचार कर रहे चिकित्सा अधिकारी द्वारा मरीज को चिकित्सकीय रूप से माइल्ड या एसिम्पटोमैटिक मामला घोषित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों के लिए आइसोलेशन की व्यवस्था के साथ ही अपने परिवार के सदस्यों के क्वारंटीन के लिए उनके निवास पर अपेक्षित सुविधा होनी चाहिए।
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इसके अलावा, चौबीसों घंटे (24&7) देखभाल करने के लिए एक देखभालकर्ता उपलब्ध होना चाहिए। होम आइसोलेशन की समस्त अवधि के लिए देखभाल करने वाले और अस्पताल के बीच सम्पर्क बना रहना अनिवार्य होगा।
उन्होंने बताया कि 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध रोगी और उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, जीर्ण फेफड़े, जिगर, गुर्दे की बीमारी, सेरेब्रो-वैस्कुलर जैसी बीमारियों से पीडि़तों को चिकित्सा अधिकारी द्वारा उनकी उचित जांच करने के उपरांत ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी।
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प्रवक्ता ने बताया कि एचआईवी, प्रत्यारोपित, कैंसर आदि से पीडि़त मरीज, जिनकी प्रतिरक्षा क्षमता कम है, के लिए होम आइसोलेशन की सिफारिश नहीं की जाएगी और उन्हें केवल चिकित्सा अधिकारी द्वारा उचित जांच के बाद ही होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों की देखभाल करने और उनसे सम्पर्क में आए व्यक्तियों को प्रोटोकॉल और चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताए अनुसार हाइड्रॉक्साइक्लोरोक्वीन प्रोफिलैक्सिस लेनी होगी।
प्रवक्ता ने बताया कि इसके अतिरिक्त https://www.mohfw.gov.in/pdf/Guidelinesforhomequarantine.pdf पर उपलब्ध अन्य सदस्यों के लिए होम क्वारंटीन के दिशा-निर्देशों का भी पालन किया जाना चाहिए।
मरीजों के लिए निर्देश
प्रवक्ता ने बताया कि मरीज को घर के अन्य सदस्यों, विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों और सह-रुग्ण जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी से पीडि़त लोगों से दूर और एक अलग कमरे में रहना चाहिए। मरीज को क्रॉस वेंटिलेशन के साथ एक अच्छे हवादार कमरे में रखा जाना चाहिए और ताजी हवा को अंदर आने देने के लिए खिड़कियां खुली रखी जानी चाहिए।
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मरीज को हर समय ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क का उपयोग करना चाहिए और उपयोग के 8 घंटे के बाद या इससे पहले यदि मास्क गीले या गंदे दिखाई दें तो उन्हें बदल लेना चाहिए। देखभाल करने वाले व्यक्ति के कमरे में प्रवेश करने की स्थिति में देखभाल करने वाले और मरीज, दोनों को ही एन-95 मास्क का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, मास्क को एक प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट के साथ कीटाणुरहित करने के बाद ही फैंका जाना चाहिए।
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मरीज को हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने चाहिए तथा हर समय श्वसन शिष्टाचार का पालन करते हुए आराम करना चाहिए। कम से कम 40 सैकेंड के लिए साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजऱ से हाथ साफ करना चाहिए। इसके अलावा, मरीज को घर के अन्य लोगों के साथ अपनी व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा नहीं करना चाहिए।
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मरीज को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट घोल के साथ कमरे की सतहों (टैब्लेट्स, डॉर्कबॉब्स, हैंडल आदि) की सफाई सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके साथ ही, पल्स ऑक्सीमीटर के साथ रक्त ऑक्सीजन सैचुरेशन की स्वयं जांच करने की सलाह भी दी जाती है। मरीज को रोजाना अपने तापमान जांच कर अपने स्वास्थ्य की स्व-निगरानी करनी चाहिए और यदि रोग के लक्षण बढ़ते हैं तो तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए।
देखभाल करने वालों के लिए निर्देश
देखभाल करने वाले को ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क पहनना चाहिए। जब बीमार व्यक्ति के साथ एक ही कमरे में हों तो उन्हें एन-95 मास्क पहनना चाहिए। इसके अलावा, उपयोग के दौरान मास्क के सामने वाले हिस्से को छुआ नहीं जाना चाहिए। यदि पसीने से मास्क गीला या गंदा हो जाता है तो इसे तुरंत बदलना चाहिए। उसे अपना चेहरा, नाक या मुंह छूने से बचना चाहिए।
हाथों की सफाई
प्रवक्ता ने बताया कि खाना बनाने से पहले और बाद में, खाने से पहले, शौचालय के इस्तेमाल के बाद और जब भी हाथ गंदे दिखते हैं तो कम से कम 40 सेकंड के लिए हाथ धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें। साबुन और पानी का उपयोग करने के बाद, हाथों को सुखाने के लिए डिस्पोजेबल पेपर तौलिए का उपयोग करना वांछनीय है। यदि उपलब्ध नहीं है, तो साफ कपड़े के तौलिये का उपयोग करें। दस्ताने पहनने से पहले और बाद में हाथ की सफाई करें।
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मरीज या मरीज के परिवेश से सम्पर्क
प्रवक्ता ने बताया कि मरीज के शरीर के तरल पदार्थों विशेष रूप से मौखिक या श्वसन स्राव के साथ सीधे संपर्क से बचना चाहिए। इसके अलावा, रोगी को संभालते समय डिस्पोजेबल दस्ताने का उपयोग करें। उसके तात्कालिक वातावरण में संभावित रूप से दूषित वस्तुओं के संपर्क में आने से बचना (जैसे कि सिगरेट, बर्तन, व्यंजन, पेय, इस्तेमाल किए गए तौलिये या बिस्तर लिनन को साझा करने से भी) सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
मरीज को उसके कमरे में भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मरीज द्वारा उपयोग किए जाने वाले बर्तनों को साबुन/डिटर्जेंट और दस्ताने पहने पानी से साफ किया जाना चाहिए।
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प्रवक्ता ने बताया कि मरीजों की वस्तुओं की सफाई करते समय डिस्पोजेबल दस्तानों और ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क का उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अतिरक्त, घर के भीतर संक्रमण के और प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी अपशिष्ट निपटान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
होम आइसोलेशन में हल्के और स्पर्शोन्मुख मरीजों के लिए उपचार
प्रवक्ता ने बताया कि मरीजों को अपने चिकित्सक के सम्पर्क में रहना चाहिए और स्वास्थ्य में गिरावट के मामले में तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए। चिकित्सक से परामर्श करने के बाद अन्य सह-रुग्ण बीमारी के लिए दवाई लेनी चाहिए। बुखार, नाक बहने और खाँसी के लिए लक्षण प्रबंधन का पालन करना चाहिए।
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इसके अलावा, मरीज गर्म पानी के गरारे कर सकते हैं या दिन में दो बार भाप ले सकते हैं।
यदि बुखार पैरासिटामोल 650 एमजी दिन में चार बार की अधिकतम खुराक के साथ नियंत्रित नहीं होता तो उपचार करने वाले चिकित्सक से परामर्श करें जो अन्य दवाओं जैसे कि गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) (दवा नेपरोक्सन 250 मिलीग्राम दिन में दो बार) की सलाह दे सकता है। इसके अतिरिक्त, तीन से पांच दिनों के लिए दवा आइवरमेक्टिन (खाली पेट दिन में एक बार 200 एमसीजी/केजी) लेने पर विचार किया जा सकता है।
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बीमारी की शुरूआत से पांच दिनों के बाद यदि लक्षण (बुखार और / या खांसी) रहते हैं तो इनहेल्शनल बुडेसोनाइड (इनहेलर्स के जरिए स्पेसर के जरिये पांच से सात दिनों के लिए रोजाना दो बार 800 एमसीजी) की खुराक दी जानी चाहिए।
प्रवक्ता ने बताया कि रेमडेसिविर लगाने या किसी अन्य जांच चिकित्सा का प्रबंधन करने का निर्णय चिकित्सक द्वारा लिया जाना चाहिए और केवल अस्पताल में रहकर ही यह दवा ली जानी चाहिए। घर पर रेमडेसिविर की खुराक लेने का प्रयास न करें।
होम आइसोलेशन कब खत्म किया जाए
प्रवक्ता ने बताया कि लक्षणों की शुरुआत होने के कम से कम 10 दिनों (या स्पर्शोन्मुख मामलों के लिए नमूने की तारीख से) और 3 दिनों तक बुखार नहीं होने के बाद होम आइसोलेशन खत्म किया जा सकता है। होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है।
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राज्य/जिला स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका
प्रवक्ता ने बताया कि राज्यों/जिलों के अधिकारियों को होम आइसोलेशन के सभी मामलों की निगरानी करनी चाहिए। क्षेत्रीय स्टाफ/सर्वेक्षण टीमों द्वारा व्यक्तिगत दौरे करने के साथ-साथ एक समर्पित कॉल सेंटर के माध्यम से होम आइसोलेशन में रखे गए मरीजों के स्वास्थ्य की निगरानी दैनिक आधार पर की जानी चाहिए।
क्षेत्रीय स्टाफ/कॉल सेंटर द्वारा प्रत्येक मामले की नैदानिक स्थिति (शरीर का तापमान, नाड़ी दर और ऑक्सीजन सैचुरेशन) दर्ज की जानी चाहिए। क्षेत्रीय कर्मचारी इन मापदंडों के लिए मरीजों का मार्गदर्शन करेंगे।
होम आइसोलेशन के तहत मरीजों के विवरण को कोविड-19 पोर्टल और सुविधा एप (उपयोगकर्ता के रूप में डीएसओ के साथ) पर भी अपडेट किया जाना चाहिए। राज्य और जिला के वरिष्ठ अधिकारियों को अपडेट किये गए रिकॉर्ड की निगरानी करनी चाहिए।
उपचार की आवश्यकता के मामले में मरीजों को अस्पतालों में ले जाने के लिए एक तंत्र स्थापित और कार्यान्वित किया जाना चाहिए। इसके लिए पर्याप्त संख्या में समर्पित एंबुलेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए। लोगों को इस बारे में व्यापक जानकारी भी दी जानी चाहिए। प्रोटोकॉल के अनुसार क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा सभी परिवार के सदस्यों और करीबी संपर्कों की निगरानी और परीक्षण किया जाना चाहिए।