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हरियाणा में बच्चों की मौत के आंकड़े में आई गिरावट, हर साल जा रही थी इतनी जान

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हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल और नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के अनुसार नवीनतम बाल स्वास्थ्य आंकड़ों में पांच वर्ष से कम आयु की शिशु मृत्यु दर में हरियाणा में पांच अंकों की उल्लेखनीय गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों की तुलना में हरियाणा में यू5एमआर में 5 अंकों की गिरावट सबसे अधिक है।

उन्होंने बताया कि हरियाणा माताओं और शिशुओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के निरंतर प्रयास के माध्यम से बाल स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने बताया कि आरबीएसके कार्यक्रमों के तहत मुफ्त सर्जरी ने भी बाल मृत्यु दर की गिरावट में भी योगदान दिया है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ‘हरियाणा में पांच अंकों की गिरावट के साथ पांच वर्ष से कम मृत्यु दर (यू5एमआर) को 36 (एसआरएस 2018) से घटकर 31 (SRS 2019) प्रति 1000 जन्म हुई है। शिशु मृत्यु दर (IMR) 30 (SRS 2018) से 27 (एसआरएस 2019) और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) 22 (एसआरएस 2018) से घटकर 19 (एसआरएस 2019) हो गई है, इन दोनों संकेतकों में भी उल्लेखनीय 3 अंक की गिरावट आई है।

विज ने कहा कि हरियाणा लगातार राज्य बाल स्वास्थ्य और टीकाकरण सेवाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘बाल स्वास्थ्य संकेतकों में गिरावट स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई विभिन्न बाल स्वास्थ्य पहलों के कारण हुई है।

इसमें कार्यात्मक कंगारू मदर केयर यूनिट (केएमसी इकाइयों) के साथ 24 विशेष नवजात देखभाल इकाइयां (एसएनसीयू) शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उपमंडल अस्पताल (एसडीएच), अंबाला छावनी और एसडीएच जगाधरी में 2 नए एसएनसीयू स्थापित किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि नलहड़ मेडिकल कॉलेज, नूंह और अग्रोहा मेडिकल कॉलेज, हिसार में मदर न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि 66 नवजात स्थिरीकरण इकाइयों (एनबीएसयू), 318 नवजात देखभाल केंद्रों के साथ-साथ 11 पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) ने भी एनएमआर और आगे आईएमआर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

विज ने बताया कि ‘यू5एमआर में कमी टीकाकरण सेवाओं में यह सुधार ,अन्य बाल स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों जैसे  गहन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, सामाजिक जागरूकता और निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिए कार्रवाई, सूक्ष्म पोषक तत्व अनुपूरक दौर, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, आशा के माध्यम से घर-घर प्रसवोत्तर देखभाल आदि नियमित रूप से चलने वाले कार्यक्रमों के कारण हुआ है। 

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