हरियाणा में खेती की नई तकनीक को ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है और इससे पानी की भी बचत होगी। वैसे तो खेती में पानी काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है लेकिन इस तकनीक से खेती करने पर जल संरक्षण भी होगा। इसके अलावा सरकार किसानों को सब्सिडी भी देती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध पानी की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में 82 लाख एकड़ कृषि योग्य जमीन है। इसमें से सीधे सिंचाई 40 लाख एकड़ जमीन पर की जाती है,
बाकि जमीन पर हम स्वच्छ पानी न होने की वजह से सीधे सिंचाई नहीं कर पाते। मुख्यमंत्री ने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें माइक्रो इरिगेशन प्रणाली को अपनाना चाहिए। सरकार द्वारा इसके लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है, महज 15 प्रतिशत पैसा ही किसानों को लगाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल से सिंचाई करने की वजह से हर साल 1 मीटर जलस्तर नीचे जा रहा है। किसान की भाषा में समझें तो उसे हर साल एक मीटर का पाइप बोरवेल में डालना पड़ता है। ऐसे यदि 10-20 साल हम करते रहे तो जमीन में पानी खत्म हो जाएगा। यह वैसी ही स्थिति होगी, जैसी हमारे शरीर से रक्त खत्म होने पर हो जाती है।

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जमीन की ऊपजाऊ शक्ति खत्म होने के साथ-साथ भावी पीढ़ी को बंजर भूमि ही मिलेगी। धान जैसी फसलों में ज्यादा पानी इस्तेमाल होता है, इन फसलों की खेती न करें। इसके लिए सरकार प्रत्येक वर्ष 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है। पिछले वर्ष इस योजना के अंतर्गत किसानों ने 1 लाख एकड़ पर धान की बिजाई कम की है।

नाहरा गांव के लिए मुख्यमंत्री ने खोला घोषणाओं का पिटारा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नाहरा गांव के लिए भी घोषणाओं का पिटारा खोल दिया। उन्होंने इस योजना के अंतर्गत गंगेश्वर तालाब पर 82 लाख रुपये खर्च करने की घोषणा की।
इसके अलावा नाहरा गांव में स्थित चारों तालाबों का सुधारीकरण, खेतों के रास्ते पक्का करने के लिए 70 लाख की मंजूरी, अस्थलबोहर मंदिर की गली के निर्माण की मंजूरी, एक एकड़ में कम्यूनिटी सेंटर के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की मंजूरी, 3 एकड़ भूमि पर पार्क का निर्माण और ओपन जिम की मंजूरी, तैयार हो चुकी लाइब्रेरी में किताबों की व्यवस्था, 5 चौपालों की मरम्मत, राजकीय कन्या वरिष्ठ विद्यालय के भवन की फिजिब्लिटी जांच कर आवश्कता अनुसार मरम्मत करने या नया भवन बनाने की मंजूरी व जलघर की पाईपलाइन डालने की मंजूरी दी।

इस दौरान एसीएस देवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश के हर गांव को श्रेणियों में बांटकर सिंचाई योजना बनाई जाएगी। यमुना नदी के 5 हजार क्यूसिक अतिरिक्त पानी का उपयोग करने के लिए सिंचाई तंत्र को मजबूत किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में एसीएस अमित झा, पूर्व मंत्री कविता जैन, उपाध्यक्ष पौंड अथॉरिटी प्रभाकर वर्मा व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।