प्रशासनिक हलकों से कभी-कभी ऐसी सुर्खियां लोगों तक पहुंचती हैं, जो बहुतों की जिंदगी के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाती हैं। वह दास्तान दिल्ली एनसीआर की महिला आईपीएस अपर्णा गौतम की हो या हरियाणा की एसपी संगीता कालिया की। फिलहाल जिन दो आईपीएस की दास्तान हम यहां बताने जा रहे हैं, दोनों के सूत्र हरियाणा से जुड़े हैं। आइए, पहले अपर्णा गौतम के एक नेक काम का वाकया जानते हैं। मूलरूप से हरियाणा के रोहतक की रहने वाली वृद्धा सरोज पिछले दिनो वसुंधरा सेक्टर नौ (गाजियाबाद) स्थित नगर निगम के आफिस के सामने घायल अवस्था में डिवाइडर पर पड़ी थीं। रात करीब दस बजे गाजियाबाद में तैनात महिला आईपीएस अधिकारी अपर्णा गौतम वहां से गुजर रही थीं। उनकी नजर वृद्धा पर पड़ी।
उन्होंने तत्काल अपनी कार रुकवाई और सिपाही की मदद से पहले महिला को सड़क किनारे बैठाया। फिर वृद्धा का अता-पता पूछा। सरोज घर तो रोहतक बता रही थीं लेकिन अपना ठीक से पता नहीं दे पा रही थीं। इसके बाद अपर्णा गौतम ने तुरंत घायल वृद्धा को गाजियाबाद के कविनगर स्थित प्रेरणा बाल आश्रम में पहुंचवाया।
सरोज ने उनको बताया कि घर वालों ने उन्हें निकाल दिया है। आश्रम के आचार्य तरुण के मुताबिक महिला का हाथ जला हुआ है। अपर्णा गौतम के विशेष निर्देश पर उनको संयुक्त जिला अस्पताल में इलाज भी कराया गया है।
पानीपत (हरियाणा) की तेज तर्रार पुलिस कप्तान हैं संगीता कालिया। वह जिन दिनो नवंबर 2015 में जब फतेहाबाद में तैनात रही थीं, एक मीटिंग के दौरान उनका भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से बहस-मुबाहसा हो गया था। अनिल विज उस समय वहां के कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष थे।
एक शिकायत की सुनवाई के दौरान विज ने एसपी को ‘गेट आउट’ कह दिया था। जब वह अडिग रहीं, मीटिंग हॉल से बाहर नहीं गई तो विज खुद बैठक छोड़कर चले गए थे। इसके बाद एसपी का वहां से तबादला कर दिया गया था। अब उनका एक बार फिर विज से सामना होने की नौबत आ गई है क्योंकि इस वक्त वह पानीपत कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष हैं।
निजी जीवन में बेहद ईमानदार एसपी संगीता कालिया 2009 बैच की कड़क आईपीएस मानी जाती हैं। उन्होंने कड़ा संघर्ष करके एक आईपीएस का मुकाम हासिल किया है। उनकी गिनती किसी डर जानेवाले अधिकारियों में से नहीं है। साहित्य और संगीत में भी वह गहरी दिलचस्पी रखती हैं। प्रतिदिन वह कम से कम पंद्रह-सोलह घंटे अपनी ड्यूटी पर सक्रिय रहती हैं। फतेहाबाद में महिला थाना की बिल्डिंग बनवाने का भी उन्हें श्रेय है। इसके अलावा कई ब्लाइंड मर्डर केस भी उनके नेतृत्व में फतेहाबाद पुलिस ने सुलझाए हैं।
उनके पिता धर्मपाल फतेहाबाद पुलिस में पेंटर थे और वर्ष 2010 में वह अपने पद से वहीं से रिटायर हो गए थे। संगीता ने अपनी पढ़ाई भिवानी से की और वर्ष 2005 में पहली यूपीएससी परीक्षा दी, लेकिन 2009 में तीसरे प्रयास में परीक्षा पास हुईं। आज जबकि वह सत्ताधारी दल के एक मंत्री की नाखुशी का सामना कर चुकी हैं, उनके संस्कार और जनविश्वास उनका संबल बने हुए हैं। जिंदगी में हमेशा सही राह से कभी विचलित नहीं होना पुलिस सेवा में उनका एक अदद मकसद रहा है। इसीलिए वह लोगों के बीच आज भी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से ज्यादा लोकप्रिय बनी हुई हैं।
वह बताती हैं कि उन्हें पुलिस में आने की प्रेरणा ‘उड़ान’ सीरियल देख कर मिली। घरेलू जीवन में उनके पिता सबसे पहले प्रेरणा स्रोत रहे। उनके पति विवेक कालिया भी हरियाणा में एचसीएस हैं। संगीता कालिया पुलिस प्रशासनिक सेवा ज्वॉइन करने से पहले छह नौकरियों के ऑफर को ठुकरा चुकी हैं। उनका जन्म भिवानी जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही कुछ अलग करने का सपना वह देखती रही हैं। वह बताती हैं कि पुलिस की वर्दी पहनते समय उन्होंने कसम खाई थी कि इसकी आन-बान पर कोई दाग नहीं लगने देंगी। इसी संकल्प को उन्होंने अपनी हर पोस्टिंग के दौरान निभाने की कोशिश की है।
कार्यभार संभालने के बाद से उन्होंने न तो कभी झूठ का सहारा लिया और न ही आगे किसी गलत काम के आगे झुकने को तैयार हैं। उनके घर-परिवार के लिए यह भी एक सुखद आश्चर्य रहा है कि जिस साल 2010 में उनके पिता पुलिस विभाग से रिटायर हुए, उसी साल हरियाणा पुलिस में एक आईपीएस के रूप में संगीता कालिया की ज्वाइनिंग हुई। उसके बाद तो उनके पिता का सिर फक्र से ऊँचा हो गया था।
इस पद पर रहते हुए वह अपने कई साहसिक कारनामों के लिए मशहूर हो चुकी हैं। वह जहां भी रहती हैं, अपनी ईमानदारी और हिम्मत से बहुत कम समय में लोगों के बीच लोकप्रिय हो जाती हैं। खासकर जो भी केस उनके संज्ञान में आ जाते हैं, उन्हें वह सुलझाए बिना नहीं छोड़ती हैं। इसके साथ ही वह सामजिक कार्यों में भी दिलचस्पी लेती रहती हैं।