एयरोस्पेस एवं रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र के विकास के लिए पूर्णतय: पारिस्थितिक तंत्र सृजित करने पर बल देते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा एयरोस्पेस और डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी 2022 को स्वीकृति प्रदान की गई। इस नीति का उद्देश्य आगामी पांच वर्षों में एक बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना तथा लगभग 25 हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित कर हरियाणा को देश के अग्रणी एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सशस्त्र बल है और रक्षा व्यय के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है तथा वर्ष 2020 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3 प्रतिशत खर्च किया है। इसलिए हरियाणा में एयरोस्पेस और रक्षा उत्पादन का स्वदेशीकरण करने के लिए इस नीति की आवश्यकता महससू की गई।
यह नीति एयरोस्पेस व रक्षा उद्योग के लिए घरेलू परिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में भी मदद करेगी। नीति में ऑटो घटकों और ऑटोमोबाइल विनिर्माण क्षेत्र में हरियाणा की अंतर्निहित ताकत का उपयोग करने की परिकल्पना की गई है और राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण के विभिन्न पहलुओं जैसे बुनियादी ढांचे में वृद्धि, आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन, मानव पूंजी विकास, कनेक्टिविटी को मजबूत करने आदि की भरपूर संभावना है।
इसके अतिरिक्त, नीति में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने तथा राज्य में आत्मनिर्भर भारत मिशन जैसी राष्ट्रीय पहल के साथ तालमेल बिठाते हुए एयरोस्पेस एवं रक्षा उद्योग में औद्योगिक विकास की परिकल्पना की गई है।
इस नीति के माध्यम से, हरियाणा सरकार राज्य में मानव पूंजी विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कदम जैसे पाठ्यक्रम विकास, अनुसंधान एवं नवाचार छात्रवृत्ति कार्यक्रम, एयरोस्पेस एवं रक्षा विश्वविद्यालय और फ्लाइंग स्कूल की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।
यह नीति हरियाणा में एक विश्व स्तरीय एमआरओ बनाने की आवश्यकता को भी पूरा करेगी। विमानन क्षेत्र में हो रहे विकास के मद्देनजर देश में परिचालित विमानों के लिए मेंटेनन्स, रिपेयर एंड ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। राज्य सरकार हरियाणा में मौजूदा हवाई अड्डों या नए स्थानों पर नई एमआरओ सुविधाओं की स्थापना के प्रस्तावों को सुविधाजनक और प्रोत्साहित करेगी।
यह नीति एमएसएमई क्षेत्र के विकास और इसके व्यवसाय के विकास पर विशेष जोर देती है। राज्य सरकार ने विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए कई पहल की हैं।
राज्य में एमएसएमई क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर विकास, बाजार संबंधों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, बुनियादी ढांचे व प्रौद्योगिकी तक पहुंच बढ़ाने, नियामक सरलीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर स्पोर्ट तथा वित्तीय प्रोत्साहन की परिकल्पना की गई है।