एक केस की जांच के लिए पुलिस को बकरी की डीएनए-जांच करवानी पड़ी। इतना नहीं, उसकी मेडिकल जांच के साथ-साथ एक महिला पुलिसकर्मी की ड्यूटी भी लगाई गई, ताकि उसकी सुरक्षा हो सके। यह अजब मामला हरियाणा के करनाल जिले का है। जहां कुंजपुरा थाना इलाके में एक शख्स पर बकरी को चोट मारकर गर्भ गिराने का आरोप था।
यह मामला पुलिस के समक्ष पशु-क्रूरता शिकायत के तहत दर्ज कराया गया था। जिसकी जांच-पड़ताल व निपटारे हेतु पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
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पुलिस के लिए इस लिहाज से यह काफी अलग अनुभव रहा कि यहां उसे किसी इंसान की नहीं, बल्कि डीएनए जांच के लिए एक बकरी के ब्लड-सैंपल लेने पड़े। साथ ही एक महिला पुलिसकर्मी को उसकी निगहबानी का जिम्मा सौंपा गया, ताकि बकरी के भ्रूण को जांच पूरी होने तक कोई केस को प्रभावित न कर पाए। यह प्रक्रिया लगभग 10 दिन चली। अब पुलिस अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल करेगी।
बकरी की डीएनए जांच की गई
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पुलिस के समक्ष दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, कुंजपुरा थाना क्षेत्र के गांव कुंडा कलां के एक व्यक्ति ने अपने ही यहां के एक शख्स के खिलाफ बीते 23 अप्रैल को यह शिकायत दर्ज कराई कि, उसने अपने खेत में घुसने की बात कहते हुए बकरी के पेट पर डंडा मारा था, जिससे बकरी को गंभीर चोट लगी और बकरी का चार-पांच माह का भ्रूण गिर गया। वहीं, आरोपित का कहना था कि अन्य किसी वजह से बकरी का भ्रूण गिरा है। आरोपी ने कहा कि, मेरे द्वारा डंडा मारने से बकरी का भ्रूण गिराने के आरोप बेबुनियाद हैं।
पुलिस ने भ्रूण अपने पास संभालकर रखा
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बता दें कि, बकरी के मालिक की शिकायत पर, पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया था। और, केस की जांच महिला एएसआइ सुदेश कुमारी को सौंपी गई। एएसआइ सुदेश ने उचानी स्थित पशु अस्पताल में बकरी और भ्रूण का डीएनए टेस्ट व मेडिकल जांच कराई।
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ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह पुष्टि हो सके कि भ्रूण गिरने का वास्तविक कारण क्या है। यदि बकरी की बच्चेदानी को वास्तव में चोट पहुंचाई गई होगी तो उसका भ्रूण आंतरिक रूप से प्रभावित हुआ होगा। वहीं, डीएनए जांच के जरिए यह पता चल सकेगा कि भ्रूण चोटिल बकरी का था या किसी अन्य मवेशी का। इसलिए पुलिस ने भ्रूण को अपने पास संभाल कर भी रखा।