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हरियाणा के इस किसान ने रेतीली जमीन पर उगा दीं यह फसलें, खोजा आमदनी का नया जरिया

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महंगाई के इस दौर में पैसे कमाना बहुत ही जरूरी है और किसी एक जगह काम करने से घर का खर्च चलाने में परेशानी आ सकती है। बात करें किसानों की तो सिर्फ एक फसल की खेती से खर्चा चलाना काफी मुश्किल है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने पारंपरिक खेती के साथ साथ आधुनिक खेती को भी बढ़ावा दिया है। हरियाणा और राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र के किसान इन तरीकों से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। राज्य के अंतिम छोर पर पड़ने के कारण यह क्षेत्र हमेशा ही नहरी पानी की कमी से जूझता रहता है।

लेकिन बावजूद इसके यहां के किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के नए-नए तरीके खोज रहे हैं। गांव कुम्हारिया (सिरसा) के एक प्रगतिशील किसान मोहर सिंह न्योल ने दो साल पहले अपनी तीन एकड़ रेतीली जमीन पर अनार के बागान लगाकर परंपरागत खेती के साथ साथ बागवानी भी शुरू कर दी थी।

मोहर सिंह न्योल ने बताया कि जब तक अनार के पौधे फलदार नहीं होते तब तक उन्होंने इन पौधों की कतारों में तरबूज, खीरा, ककड़ी, घिया, टिंडा आदि सब्जियां लगा कर कमाई करने का जरिया खोजा है।

बता दें कि अभी अनार के बाग से उनकी कमाई नहीं हुई हैं। लेकिन तरबूज से 1 लाख रुपए और अन्य सब्जियों को भी करीब 1 लाख रुपए में बेचकर कमाई की है। उन्होंने आगे कहा कि परंपरागत खेती के साथ-साथ किसानों को बागवानी, फल-सब्जियां इत्यादि की खेती से वह आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

कुम्हारिया के किसान न्योल ने बताया कि नहरी पानी की कमी, प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों इत्यादि से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन कम होने लगा और इस कारण बचत भी नहीं हो पा रही थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

ऐसे में उसने खेती में आमदनी बढ़ाने का नया जरिया खोजना शुरू किया तो उसके पुत्र रोहतास न्योल ने समाचार पत्रों में बागवानी के बारे पढ़कर तीन एकड़ जमीन में अनार का बाग लगाया। उन्होंने अनार के पौधों की कतारों के बीच तीन एकड़ में तरबूज, खीरा, टिंडा, ककड़ी, घिया आदि सब्जियां लगाई जिससे उसे करीब 2 लाख रुपए की कमाई हुई।

उन्होंने बताया कि वे अधिकतर बागवानी खेती में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। जब तक अनार के पौधे पूरी तरह फलदार नहीं हो जाते तब तक वह इनकी कतारों में सब्जियां इत्यादि लगाकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें दोहरा लाभ हो रहा है।

उन्होंने बताया कि कुम्हारिया, खेड़ी, गुसाईआना तथा निकटवर्ती गांवों के लोग उनके खेत की सब्जियां काफी पसंद करते हैं। आधुनिक तरीके से खेती करके किसान मोहर सिंह न्योल हरियाणा तथा निकटवर्ती राजस्थान के गांव में प्रेरणा स्रोत बन गया है।

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