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अब हरियाणा की यह कॉलोनियां करा सकेंगी प्लॉटों की रजिस्ट्री, जानें योजना की पूरी डिटेल

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हरियाणा सरकार ने अपने एक फैसले से साइबर सिटी गुरुग्राम की कुछ कॉलोनियों को काफी राहत पहुंचाई है। सरकार की ओर से लोटो के विभाजन को मंजूरी दे दी गई है जिससे अब 1980 से पहले बनी कॉलोनियों में आवंटित प्लॉट को टुकड़ों में बांटा जाएगा ऐसे प्लॉट का न्यूनतम आकार 200 वर्ग मीटर होना चाहिए और टुकड़ों में बांटे जाने वाले पौधों का आकार 100 वर्ग मीटर से कम नहीं होना चाहिए। सरकार के इस फैसले से लोग काफी खुश हैं।

हाल ही में हुई बैठक कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस नई नीति को अपनी मंजूरी दे दी थी लेकिन अभी तक इस संबंध में सरकार की ओर से कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है।

सरकार के इस फैसले से गुरुग्राम की लगभग 16 कॉलोनियों के लाखों लोगों को का फायदा होगा। इससे पहले लोगों को मकान की रजिस्ट्री करवाने और नक्शा करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती थी। कभी इस विभाग में जाना तो कभी उस विभाग में जाना लेकिन रजिस्ट्री कभी नहीं हो पाती थी। रीहेबिलिटेशन और टाउन प्लानिंग योजना वाली कॉलोनियों में भी यही योजना लागू होगी। योजना की पूरी जानकारी के लिए अंत तक पढ़े।

यह है पूरी योजना

जब देश आजाद हुआ था उस समय लाखों शरणार्थी भारत आए थे। उस समय भारत सरकार ने उनके रहने के लिए प्लॉट आवंटित किए थे। लेकिन अभी तक सरकार द्वारा दिए गए इन प्लॉटों की टुकड़ों में रजिस्ट्री नहीं हो रही थी। उदाहरण के तौर पर जैसे कि सरकार ने एक व्यक्ति को 500 वर्ग मीटर का एक प्लॉट दिया था। लेकिन वह इस प्लॉट को अपने बच्चों में बराबर हिसाब आकर उसकी रजिस्ट्री नहीं करा सकता था।

इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब सरकार ने प्लॉट धारकों को टुकड़ों में रजिस्ट्री कराने की अनुमति दे दी है। ऐसे में अब लोग अपने जमीन की टुकड़ों में रजिस्ट्री करवा सकेंगे। बशर्ते प्लॉट का आकार 200 वर्ग मीटर से कम नहीं होना चाहिए। टुकड़ों में बांटने वाले प्लॉट का आकार भी 100 मीटर से कम नहीं होना चाहिए।

1959-66 तक लागू थी यह योजना

सन् 1959 से लेकर 1966 तक सरकार ने बाहर से आए शरणार्थियों के लिए रीहेबिलिटेशन और टाउन प्लानिंग स्कीम लागू की थी। इस समय सरकार द्वारा इन प्लॉटों के आकार व साइज तय किए गए थे। इसके बाद से इन लोगों के इन आवंटित प्लॉटों को टुकड़ों में नहीं बांट सकते थे। ऐसे में लोग अवैध तरीके से इन आवंटित प्लॉटों की डिग्री आदि करवा लेते थे, लेकिन उनको वह स्थायी डिग्री नहीं मिल पाती थी, इस कारण लोगों के इन प्लॉटों के नक्शे भी पास नहीं हो रहे थे।

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