हर किसी को पढ़ने का अधिकार है और पढ़ाई के दौरान अगर बच्चों में भेदभाव किया जाए तो इससे उनके दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। हाल ही में शिक्षा विभाग के एक फैसले से हर जगह उथल-पुथल मची हुई है क्योंकि हर कोई व्यवहार के इस फैसले को बदलने को कह रहा है। इसी पढ़ाई में बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। हर बच्चा बराबर होता है। उसके वर्ग को देखकर उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। हरियाणा के पिछड़े इलाकों में बच्चों को अंग्रेजी मीडियम से शिक्षा देने के लिए 36 आरोही मॉडल स्कूल स्कूलों की शुरुआत की गई थी।
यह स्कूल हिसार, सिरसा, भिवानी, जींद, कैथल, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पानीपत जिलों के खंडों में शुरू किए गए थे। साल 2011 में केंद्र सरकार की ग्रांट की मदद से इन स्कूलों को खोला गया था और इन स्कूलों के लिए विभिन्न कैटेगरी के करीब 2232 पदों को स्वीकृत किया गया।
हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर पत्र जारी कर प्रदेशभर के सभी 36 आरोही स्कूलों में बने कन्या छात्रावास में सामान्य वर्ग की बेटियों को छात्रावास सुविधा से वंचित कर दिया है। शिक्षा सत्र 2022-23 से यह नियम लागू किया गया है। पिछले सत्र तक सामान्य वर्ग की छात्राओं को भी छात्रावास की सुविधा मिलती थी।
इनके लिए सर्विस बाईलाज 2011 तैयार किया गया। 2018 में उप नियम तय किए गए। शिक्षा के मामले में पिछड़े खंडों में छात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए खोले गए इन स्कूलों में सभी वर्ग की बेटियों के लिए निःशुल्क छात्रावास की सुविधा उपलब्ध थी। हिसार जिले के चार आरोही स्कूलों में निःशुल्क हॉस्टल की सुविधा दी हुई है।
लेकिन अब शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर छठी से आठवीं तक की जनरल छात्राओं को हॉस्टल न अलॉट करने का पत्र जारी किया है। खारिया निवासी मनोज ने कहा कि बेटियों को सुविधा से वंचित करना निंदनीय फैसला है। ऐसा करने से छात्रावास में रहने वाली बेटियों के मन में जातिगत भेदभाव के विचार बढ़ेंगे। शिक्षा विभाग को अपना फैसला बदलना चाहिए।
दूरदराज की बेटियों को होगी भारी परेशानी
जिले के आरोही स्कूलों में 30 किलोमीटर दूर तक की छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए आती हैं। भिवानी रोहिल्ला आरोही स्कूल में हिसार से भी छात्राएं पढ़ाई के लिए आती हैं। दूरदराज की बेटियां आरोही स्कूल में अंग्रेजी माध्यम और हॉस्टल सुविधा के लिए दाखिला लेती हैं। अब हॉस्टल की सुविधा न मिलने से छात्राएं स्कूल छोड़ने को मजबूर होंगी।
अभिभावकों ने कही यह बातें
1. खारिया निवासी मनोज कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला सातवीं कक्षा में इस स्कूल में कराया ताकि वह गर्ल्स हॉस्टल में रहकर अच्छी पढ़ाई कर सके। लेकिन सोमवार को उन्हें पता लगा बेटी को हॉस्टल ही नहीं मिलेगा। यह गलत निर्णय है। शिक्षा विभाग को अपना फैसला बदलना चाहिए।
2. खारिया निवासी शिवलाल ने कहा कि उनकी बेटी आरोही स्कूल भिवानी, रोहिल्ला में जाती है। खारिया से भिवानी, रोहिल्ला के लिए कोई बस सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। रोजाना बेटी को स्कूल छोड़कर लाने-ले जाने के लिए आना पड़ता है। शिक्षा विभाग सुविधाओं के नाम पर इस तरह से जातीय आधार पर भेदभाव गलत है।
सीसवाला निवासी सुरेश मेहरा का कहना है कि उनकी बेटी आठवीं कक्षा में आरोही स्कूल भिवानी रोहिल्ला में जा रही है। इस बार बेटी को हॉस्टल में छोड़ना चाहता था। लेकिन शिक्षा विभाग के इस फैसले से सब पर पानी फिर गया। उन्हें इस नए फैसले को बदलना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलना चाहिए।
ये लिखा है जारी पत्र में
शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र में डीपीसी को दिए आदेश में लिखा है कि नौवीं से बारहवीं कक्षा तक की लड़कियों को हॉस्टल अलॉट होने के बाद बची खाली 15 प्रतिशत सीटों पर छठी से आठवीं तक की एससी, बीसी, बीपीएल और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को हॉस्टल दिया जाएगा।
ज्ञान सिंह, DPC हिसार का कहना है कि शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी कर हॉस्टल में एससी, बीसी, अल्पसंख्यक समुदाय और बीपीएल बेटियों को रखने के आदेश दिए हैं। विभाग ने सामान्य वर्ग की बेटियों को हॉस्टल में न रखने का फैसला लिया है। हमें विभाग के आदेशों का पालन करना पड़ेगा।
यहां चल रहे आरोही स्कूल
- पानीपत – छज्जूकलां
- पलवल – रामगढ़, अली ब्राह्मण, लड़ियका, गदपुरी
- मेवात – हसनपुर बिलोंडा, मोहम्मदपुर नगर,रेवासन,मुंडेट, बावला
- फतेहाबाद – सरवरपुर, डुल्ट, बनगांव, जलोपुर, कनहेड़ी
- महेंद्रगढ़ – मंढाना
- कैथल – ग्यौंग, रामगढ़ पंदवा, सोंगरी
- जींद – हसनपुर, नारायणगढ़, घेसुंखुर्द
- हिसार – अग्रोहा, गैबीपुर,घिराय, भिवानी रोहिला, खेड़ी लोहचब, उकलाना
- भिवानी – तोशाम, सिवानी खेरा
- सिरसा – झीड़ी, कालूआना, खारी सुरेरा, नाथूसरी कलां, मोहम्मद पुरिया।