अगर मन में कुछ अलग करने का जुनून हो और इसे आप अपने लिए एक चुनौती के रूप में लेते हो तो आप जरूर उस चुनौती को पार कर पाएंगे। अगर मेहनत मन से हो हो तो हर कोई आपका साथ देगा। और अगर चुनौती कोई दूसरा व्यक्ति दे तो उसे हासिल करने के लिए हर कड़ी मेहनत करते हैं। सेब और बादाम की खेती के बारे में तो अपने सुना ही होगा की इन्हें केवल ठंडे इलाकों में ही उगाया जा सकता है। लेकिन फरीदाबाद के एक किसान ने 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान में इन्हें उगाकर सबको हैरान कर कर दिया। सुनने में यह नामुमकिन लगता है क्योंकि सेब के बागान जम्मू-कश्मीर और हिमाचल जैसे ठंडे इलाकों में उगाए जाते हैं तो इतनी भयंकर गर्मी में इन्हें उगाना नामुमकिन सा है। लेकिन जब अगर मेहनत पूरी हो तो प्रकृति भी आपके आगे हार मान लेती है।
किसान नरेश सारंग ने न सिर्फ इसके बारे में सोचा बल्कि उस सोच को अमलीजामा पहनाने की दिशा में गंभीरता से जुट गए। आज उनके एक एकड़ के बाग में सेब और बादाम पेड़ों पर लदे हैैं और वह जून-जुलाई में पहली फसल लेने की तैयारी में हैं।
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दसवीं तक पढ़े किसान नरेश के परिवार का पालन पोषण केवल खेती से ही चलता है। वह हर मौसमी सब्जी अपने खेत में पैदा करते हैं। चार बार गांव के सरपंच रह चुके उनके पिता प्रताप सिंह सारंग ने एक दिन नरेश को प्रेरित करने के लिहाज से कहा कि सामान्य व परंपरागत खेती तो बहुत हो गई, अब कुछ अलग करके दिखाओ तो बात बने।
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पिता के इन शब्दों को नरेश ने चुनौती के रूप में लिया और इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब पर खेती से संबंधित खोजबीन शुरू की। तो उन्हें गर्मी के मौसम में करनाल के राणा फार्म में सेब पैदा करने के बारे में जानकारी मिली।
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नरेश कुमार ने कहा कि करनाल और फरीदाबाद का मौसम लगभग एक जैसा ही होता है। इसका मतलब वह भी अपने खेत में सेब पैदा कर सकते हैं। यह सोच कर वह करनाल गए और सेब की फसल के लिए हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में रहने वाले हरिमन शर्मा का नंबर लिया। तीन वर्ष पहले हरिमन शर्मा से मिले और उन्हें अपनी इच्छा बताई।
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वर्ष 1999 में हरिमन ने अपने नाम से सेब की किस्म तैयार की थी। नरेश वहां से 60 रुपये प्रति पौध की दर से सेब की 161 पौध लेकर आए और साथ ही बादाम के भी सात पौधे करनाल राणा फार्म से लेकर आए। एक एकड़ के बाग में उन्होंने सेब और बादाम के पौधे लगा दिए। अब इन तीन वर्ष में बाग में सेब के 115 पेड़ फल-फूल गए हैं।वहीं बादाम के चार पौधों पर कच्चे बादाम आ गए हैं। उन्होंने अपने बाग में थाई सेब नाम से बेर के 20 पौधे भी लगाए हैं। तीन वर्ष में इस तरह की खेती पर वह करीब तीन लाख रुपये खर्च कर चुके हैं।
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बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि सेब के पौधों के सम्पूर्ण विकास के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। इसके लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा वातावरण रहता है। फलों के पकने के दौरान सात डिग्री तापमान सबसे उचित रहता है।
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इस बारे में नरेश का कहना हैै कि शुष्क मौसम में होने वाले सेब की इस प्रजाति को हरिमन शर्मा ने ही तैयार किया है और यह फसल 45 डिग्री तापमान में भी तैयार हो सकती है। फसल को बीमारी से बचाने में लिए दवा, खाद आदि के बारे में हरिमन से ही राय लेते हैं।
अपने बगानों में वह ज्यादातर जैविक खाद ही डालते हैं। उनके यहां का पानी मीठा है, जिससे फलदार पौधे आसानी लग जाते हैं। खास बात यह है कि नरेश डबल लेयर खेती कर रहे हैैं। ऊपर फलों का उत्पादन करने के साथ जमीन के नीचे प्याज की फसल भी उगाते हैैं। प्याज के बाद मूंगफली की फसल लगाने वाले हैं।
जल्द लेंगे पहली फसल
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नरेश ने बताया कि अगले माह जून-जुलाई में सेब की पहली फसल ले लेंगे और इससे उन्हें डेढ़ लाख रुपये आय होने की उम्मीद है। अगर एक बार पेड़ लग गए हैं तो हर वर्ष एक निश्चित आमदनी होगी। फरीदाबाद-पलवल जिले के अन्य किसान भी नरेश के बागान को देखने के लिए आ रहे हैं। नरेश उन्हें भी ऐसी ही खेती करने को प्रेरित करते हैं, ताकि किसान परंपरागत खेती को छोड़ व्यवसायिक फसलों का उत्पादन करें और किसान की आय को दोगुना करने का प्रधानमंत्री के सपने को साकार कर सकें।