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हरियाणा में इस तकनीक से हो रही धान की रोपाई, इस योजना के तहत किसानों को मिल रहे ₹4000

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औद्योगिक विकास में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बावजूद, हरियाणा मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है। राज्य में अधिकांश आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने किसानों को अधिक-से-अधिक व बेहतर  सुविधाएं और प्रोत्साहन प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, ताकि राज्य में व्यापक विकास सुनिश्चित किया जा सके। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार हरियाणा सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में अपनी तरह की अनेक नई पहल की गई हैं ताकि उनके माध्यम से किसानों को अधिक-से-अधिक लाभ सुनिश्चित हो सके।

हरियाणा सरकार धान उत्पादक किसानों के लिए एक प्रभावी तकनीक शुरू करके राज्य में जल संरक्षण को बढ़ावा दे रही है। धान की सीधी बिजाई तकनीक (DSR) अपनी तरह का एक और पहला प्रोत्साहन-प्रेरित अभियान है जिसे राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट परियोजना के रूप में लागू किया गया है।

योजना के तहत किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ का नकद प्रोत्साहन दिया जाता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विशेषज्ञों की निगरानी में हरियाणा के 12 धान उत्पादक जिलों के किसान वर्तमान धान की खेती के मौसम में इस तकनीक के माध्यम से धान उगाएंगे।

हरियाणा के कुछ धान उत्पादक इलाकों में बीज बोकर धान की पनीरी तैयार करके इसकी रोपाई करना पहले से ही प्रचलित है। सरकार धान की खेती के इस वैकल्पिक तरीके को बढ़ावा दे रही है ताकि राज्य में जल संरक्षण अभियान को बढ़ावा मिले और किसानों को भी इसका लाभ मिले।

लागत प्रभावी और पानी की खपत कम

सरकार ने फैसला किया है कि धान उगाने की इस लागत प्रभावी और कम पानी की खपत वाली विधि को अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4,000 रुपये दिए जाएंगे। इस योजना को चुनने वाला प्रत्येक किसान डीएसआर तकनीक का उपयोग करके फसल उगा सकता है और प्रोत्साहन के लिए पंजीकरण करने के लिए उनके लिए रकबा (क्षेत्र) की कोई सीमा नहीं है।

पारंपरिक धान रोपाई विधि में मेहनत और पानी अधिक लगता है जबकि डीएसआर को पारंपरिक विधि की तरह मेहनत और पानी की आवश्यकता नहीं होती है और यह पानी की खपत और उत्पादन लागत को 15 से 20 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस योजना पर कहा कि धान की खेती के माध्यम से अपनी आजीविका कमाने वाले हजारों किसानों को प्रोत्साहित और सहयोग देने के लिए यह राज्य में एक और नई व अनूठी पहल है। यह न केवल उन्हें एक लागत प्रभावी तरीका प्रदान करेगी बल्कि उन्हें नई कृषि पद्तियों को प्रथाओं को मजबूत करने के लिए नई तकनीकों के बारे में वांछित प्रदर्शन और जानकारी भी प्रदान करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय मदद से डीएसआर तकनीक किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रेरित करने, धान की खेती के तहत क्षेत्र को कम करने और पर्यावरण के अनुकूल खेती तकनीकों के लिए प्रेरित करने के लिए हरियाणा सरकार का यह एक और बड़ा निर्णय है।

12 जिलों में लागू होगी योजना

यह प्रोत्साहन-आधारित योजना अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और हिसार सहित 12 जिलों में लागू की जाएगी। यमुनानगर, पानीपत और सोनीपत में 6,000; अंबाला में 7,000 एकड़; सिरसा, हिसार, रोहतक में 8,000; फतेहाबाद में 9,000; करनाल और कुरुक्षेत्र में 10,000 एकड़; और कैथल व जींद में 11,000 एकड़ में यह योजना लागू होगी।  विशेषज्ञों के अनुसार, बासमती धान को भी गैर-पोखर परिस्थितियों में डीएसआर के रूप में उगाया जा सकता है और इसे धान उगाने के लिए उपयुक्त लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है।

योजना का लाभ कैसे उठाएं

इस योजना का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को 30 जून, 2022 तक ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ (एमएफएमबी) पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा। उसके बाद कृषि विकास अधिकारी/बागवानी विकास अधिकारी, पटवारी,नम्बरदार तथा सम्बन्धित किसान कमेटी द्वारा 25 जुलाई, 2022 तक भौतिक रूप से सत्यापित  किया जाएगा और तुरंत ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा। डीएसआर योजना का लाभ डीबीटी के माध्यम से डीएसआर सत्यापित किसानों को प्रदान किया जाएगा।

किसानों को समृद्ध बना रही सरकार

हरियाणा सरकार समावेशी विकास के अपने आदर्श वाक्य के तहत, यह सुनिश्चित कर रही है कि किसान फसल विविधीकरण और पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों के माध्यम से समृद्ध बनें और उन्हें नई और असाधारण तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता प्रदान की जाए। इसके लिए राज्य सरकार ने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ और ‘खेती खाली- फिर भी खुशहाली’ सहित योजनाएं शुरू की हैं।

’मेरा पानी- मेरी विरासत’ योजना के तहत धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगाने वाले किसानों को 7,000 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके अलावा, ‘खेती खाली-फिर भी खुशहाली’, योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 7,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है यदि वे धान के मौसम के दौरान अपने खेतों में कोई भी फसल न बोएं।

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