हर शहर का कुछ न कुछ इतिहास रहता ही है। वहां मौजूद कुछ ऐतिहासिक धरोहरें इस बात का प्रमाण होती हैं। राजस्थान के जल महल के बारे में अपने तो सुना ही होगा। लेकिन आज हम आपको हरियाणा में मौजूद जल महल के बारे में बताएंगे। यह जल महल सिर्फ उस शहर की पहचान नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश में इसकी बात ही निराली है। इसी कारण यह ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है। इसे देखने दूर दूर से लोग आते है और अगर विदेशी पर्यटक यहां आते हैं तो वे इसे देखे बिना नहीं जाते। इसकी खूबसूरती लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यह महल भारतीय और पर्शियन शैली के मिश्रण को प्रदर्शित करती है।
इसके इतिहास की बात करें तो 1591 में मुगल राजदरबार के अधिकारी और नारनौल के शासक शाह कुली खान द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। 11 एकड़ जमीन पर फैले इस जल महल के निर्माण में दो से तीन साल लगे। पानी के बीचों बीच स्थित यह महल अब सुख चुका है। इस इमारत के बाहर चार मीनारें हैं और ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियां भी है।
इसकी दीवारों और छत पर अलग अलग तरह के डिजाइन, चित्र और आकृतियां बनीं हुई है। यह ऐतिहासिक धरोहर अब हरियाणा सरकार की निगरानी में है। इस महल को सरकार की कोशिशों से फिर से जल महल बनाया गया।
महल को अन्य मुगल महलों और मंडपों की शैली में सजाया गया था। यह संरचना कला और नक्काशी से सुशोभित था और इसमें शिलालेख भी शामिल थे।
समय के साथ साथ यहां मिट्टी भरती गई और पानी का नामोनिशान नहीं था लेकिन 20वीं सदी में सारी मिट्टी हटा दी गई और जल महल में पानी भरने के लिए सरकार ने यहां पाइपलाइन भी डलवाई थी। नारनौल का यह वाटर पैलेस 16वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था। आज के समय में यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
हरियाणा की यह ऐतिहासिक धरोहर हफ्ते के सातों दिन और 24 घंटे खुला रहता है। पर्यटक जब चाहे यहां आसानी से आ सकते हैं। 11 एकड़ में फैली यह धरोहर कृत्रिम झील के साथ स्थित है।