आज के समय में लोग पारंपरिक खेती की जगह बागवानी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। लेकिन हरियाणा के अंबाला में बागवानी के प्रति लोगों का रुझान खत्म हो चुका है। कई किसान इसको लेकर प्रयास भी कर चुके हैं लेकिन फिर भी फलदार पौधे कामयाब नहीं हो पा रहे। लेकिन जिले की एक महिला ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे देख सभी हैरान रह गए। क्योंकि एक ओर जहां किसान कह रहे थे कि फलदार पौधे उग नहीं पा रहे वहीं दूसरी ओर इस महिला ने दो दर्जन से भी ज्यादा पौधे उगाकर सभी को झुठला दिया। इन पौधों पर अब खूब फल लदे हुए हैं।
पिछले छः सालों से अंबाला छावनी के पास के गांव शाहपुर में यह महिला बागवानी में जुटी हुई है। सिर पर बागवानी का ऐसा जुनून था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को छोड़कर पेड़-पौधों के साथ अपनी जिंदगी बिता रही है।

गांव की ही एक महिला ने बताया कि उसे पेड़-पौधों से प्यार है। इस कारण उसने फलदार पौधों को प्राथमिकता दी। अब वह खुद के घर के फल ही खाते हैं। साथ ही उनके संबंधी भी उन्हीं के पास फल लेने पहुंचते हैं। फल लेने के लिए अब बाजार जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
देश-विदेश से लाए पौधे और बीज

बागवानी में उनके पति हरविंद्र सिंह भी अपना पूरा सहयोग देते हैं। उनकी एक बेटी कनाडा में रहती है। अलग-अलग जगहों से पौधे लाकर उन्होंने यह काम शुरू किया। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी फलों के बीजों को लाकर उन्होंने बागवानी शुरू की।

उन्होंने भिन्न-भिन्न किस्मों के फल लगाए हुए हैं, जिनमें आम्रपाली और लंगड़ा किस्म का आम, महाराष्ट्र का केला, सरबती किस्म का आडू जो खुद ही बीज से उगा दिया, इजराइल किस्म का आलू बुखारा, अनार, आंवला, जामुन, बादाम जो एक साल का पौधा, अखरोट काे कश्मीर से बीज लेकर उगाया, चीकू, इलाहाबाद से अमरूद, अंगूर, इजराइल किस्म की लीची, पपीता, गोल्डन किस्म का सेब, छोटी लैची, बबू गोसा, गलगल, खजूर, सहारनपुर से अमलतास, इमली, नींबू, वेल पत्थर, बांस, हल्दी, नानकसर की शहतूत, संतरा लगाए हुए हैं।