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हरियाणा के खिलाड़ी कुकीज खाकर दिखाएंगे अपना दम, ढूंढ निकाला सप्लीमेंट का विकल्प

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हरियाणा के सैंकड़ों खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व पटल पर देश का नाम रोशन किया है। एक खिलाड़ी को इस मुकाम तक पहुंचने में कई साल लग जाते हैं। कुछ तो बचपन से ही खेल में कोचिंग लेना शुरू कर देते हैं। इस तैयारी को करने के लिए उन्हें शुरु से ही मेहनत के अनुरूप डाइट में प्रोटीन आदि की आवश्यकता होती है। जिसके लिए खिलाड़ियों को उनके कोच सप्लीमेंट की तरफ ले जाते हैं। लंबे समय में खाए गए यह सप्लीमेंट अंत में खिलाडिय़ों को भयानक बीमारी देते हैं। ऐसा ही कुछ डॉ. दीपिका को देखने को मिला।

दरअसल, डाइट कोच रहते हुए उन्होंने देखा कि खिलाड़ी डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थ ले रहे जो जहरयुक्त हैं। दीपिका की संवेदना ने उन्हें झकझोर दिया। उनके मन में विचार आया कि क्यों न सप्लीमेंट डाइट के जहर को सेहत के अमृत में बदला जाए? इस सोच को उनकी शिक्षा व अनुभव का संबल मिला।

कुछ साल पहले सोनीपत स्थित स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया (SAI) में डॉ. फूड एंड न्यूट्रिशन विज्ञानी थी। उन्होंने देखा कि जो सप्लीमेंट खिलाड़ी ले रहे हैं उससे फायदे कम नुकसान ज्यादा है। कई खिलाड़ियों की ब्लड रिपोर्ट में तो बीमारियां भी पाई गईं। यहां तक कि कुछ को लिवर तक की समस्या हो गई थी। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन आदि की समस्याएं तो आम थी। इसको देखते हुए दीपिका ने खिलाडिय़ों को आर्गेनिक और प्रकृति में मौजूद खाद्य पदार्थों और फलों को लेकर एक प्लान तैयार किया।

बदला खिलाड़ियों का डाइट प्लान

तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री किरण रिजजू को भी यह समस्या बताई गई और खिलाडिय़ों का ऐसे डाइट प्लान बदला गया। लेकिन फिर भी देश के कई खिलाड़ियों को यह समस्या झेलनी पड़ रही है और इसी समस्या से निजात पाने के लिए उन्होंने ऐसी कुछ चीज बनाई उसे खाने के बाद खिलाड़ियों को किसी तरह की सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं होगी।

ऐसे आया मन में खयाल

बता दें कि कुछ समय पहले सोनीपत के गांव जुआ में एक अखाड़ा खुलना था। इसके लिए डाइट और न्यूट्रिशन जांचने के लिए डॉ. दीपिका को इस गांव में भेजा गया। तो उन्होंने गांव के बच्चों से पूछा कि वह कुश्ती की तैयारी के लिए क्या खाते हैं। तो बच्चों ने बताया कि वह ग्लूकोज बिस्किट, दूध और कभी-कभी घी खाते हैं। स्वजन कहते हैं कि इससे सेहत बनेगी।

डॉ. दीपिका के अनुसार एक अच्छा खिलाड़ी तब बन सकता है जब उसे पर्याप्त प्रोटीन व किस समय कौन से पोषक तत्व चाहिए, यह सब मिले। ग्लूकोज बिस्किट में अमोनिया होता है, जो शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है। सिर्फ यही नहीं बल्कि कई ऐसे केमिकल ले रहे हैं जिनके बारे में हमें जानकारी ही नहीं हैं।

ऐसे में तब डॉ. दीपिका के मन में विचार आया कि उन्होंने जो पढ़ाई की गई उसका फायदा अगर अधिक से अधिक खिलाडियों को नहीं पहुंचेगा तो इसका क्या फायदा। ऐसे में यहां से उनके मन में उत्पाद बनाने का विचार आया।

नहीं मिल पाता पूरा पोषण

डॉ. दीपिका ने बताया कि अक्सर अभिभावक अपने बच्चों को पोषण के लिए बिस्किट, ड्राई फ्रूट्स, फल आदि खिलाते हैं। लेकिन इससे उनको पूरा पोषण नहीं मिल पाता। स्पोर्ट्स साइंस का कहना है कि कुछ ऐसा खाना चाहिए जिससे धीरे-धीरे शरीर को ऊर्जा मिले और थकावट न हो।

ऐसे में उन्हें डेढ़ वर्ष तक रिसर्च की और एक ऐसी किट खोजी जो नुकसान भी न दे और संतुलित पोषण देती हो। अब इस किट और इसको बनाने की प्रक्रिया दोनों पर डॉ. दीपिका ने पेटेंट कराया हुआ है। इस उत्पाद को फिट रहने की इच्छा रखने वाला कोई भी व्यक्ति ले सकता है।

कई वैरायटी की बनाती हैं कुकीज

बता दें कि इसमें दो प्री वर्क-आउट कुकीज, एक मिड वर्क आउट और दो पेस्ट वर्क आउट कुकीज शामिल हैं।  इसे इस तरीके से बनाया गया है कि सभी पोषक तत्व, मिनरल आदि की एक संतुलित मात्रा में शरीर को मिलें। इस किट को इस तरह बनाया है कि पहली कुकीज को सीरियल से बनाई है, दूसरी कुकीज फ्रूट से बनी है तो तीसरी चुकंदर आदि से बनाया है तो चौथी कुकीज को भुने हुए चना, रागी, बटर आदि को मिलाकर तो पांचवी कुकीज को सभी ड्राई फ्रूट्स सूरजमुखी के बीज आदि को मिलाकर बनाया है। ऐसे में प्रत्येक कुकीज 125 ग्राम की है। इसमें कोई भी ऐसा पदार्थ नहीं है जो डोप में आए।

ऐसे शुरू हुआ स्टार्ट-अप

डॉ. दीपिका ने बताया कि प्रोडक्ट तो उन्होंने तैयार कर लिया था लेकिन स्टार्ट-अप कैसे करना है, इसक जानकारी नहीं थी। ऐसे में उन्हें जानकारी मिली कि हिसार की चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीबिजनेस इन्क्यूबिशन सेंटर है, जहां स्टार्ट-अप के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें उन्होंने अपन प्रोडक्ट दिखाया और वह चयनित हो गईं। इसके बाद एबिक सेंटर के एक्सपर्ट ने उन्हें कंपनी बनाने से लेकर अन्य चीजों में मदद की।

स्टार्टअप के लिए मिले 5 लाख

स्टार्टअप शुरू करने के लिए उन्हें पांच लाख रुपए रफ्तार आरकेवाई स्कीम के तहत मिले। उन्होंने यह कंपनी अपने कैमरी रोड स्थित आवास से अपने पिता ओम प्रकाश अहलावत जो कि एक सेवानिवृत्त नेवी अफसर हैं, के साथ शुरू की है। हिसार में रहकर एचएयू से दीपिका ने फूड एंड न्यूट्रिशन में बीएससी, एमएससी और पीएचडी की। इसके बाद वह साई के साथ जुड़ गईं। फिर उनकी शादी महिपालपुर दिल्ली में हुई है।

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