बायोगैस को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने संस्थागत बायोगैस प्लांट योजना शुरू की है। योजना के तहत पोल्ट्री फार्म, व्यावसायिक, खुद की डेयरी व गऊशाला आदि संस्थाएं लाभ उठा सकती है। बायोगैस प्लांट की लागत का 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। इच्छुक व्यक्ति या संस्थाएं 27 मई तक आवेदन कर योजना का लाभ उठा सकते हैं। अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्रपाल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-2023 के दौरान बायोगैस को बढ़ावा देने के लिए योजना क्रियान्वित की है।
इस योजना के तहत 25 क्यूबिक बायोगैस प्लांट पर अधिकतम 1,27,200 रुपये अनुदान, 35 क्यूबिक बायोगैस प्लांट पर अधिकतम 2,02,000 रुपये तक के अनुदान का प्रावधान है। जबकि 45 क्यूबिक बायोगैस प्लांट पर अधिकतम 2,38,800 रुपये अनुदान, 60 क्यूबिक बायोगैस प्लांट पर अधिकतम 3,02,400 रुपये अनुदान मिलेगा।
80 क्यूबिक बायोगैस प्लांट पर अधिकतम 3,95,600 रुपये अनुदान दिया जाएगा। अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि इच्छुक व्यक्ति या संस्थाएं इस योजना का लाभ उठाने के लिए 27 मई 2022 तक अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय में आवेदन जमा करवा सकते हैं।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए स्थानीय जिला विकास भवन स्थित अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय के परियोजना अधिकारी कक्ष संख्या 114-115 से सभी कार्य दिवसों में संपर्क किया जा सकता है।
अमृत योजना में नगर निगम ने भी गोबर गैस प्लांट लगाने के लिए कार्य शुरू किया है। प्लांट पर करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च होंगे। कन्हेंली के निकट बनने वाले प्लांट पर करीब 77 प्रतिशत कार्य हो गया है।
योजना का मकसद है कि शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गोबर का प्रबंधन करना। गैस प्लांट लगने से किसानों को भी प्रशिक्षित करने की योजना है। हालांकि इस कार्य में कुछ वर्ष लग सकते हैं, क्योंकि अभी कार्य बजट के अभाव में थमा हुआ है।
वहीं दूसरी ओर, डेयरी संचालकों को भी यही कहा गया है कि वह शहरी क्षेत्र के सीवरों में गोबर न बहाएं, इसका प्रबंधन करें। इस प्रकरण में नगर निगम के अधिकारियों ने बैठक करके डेयरी संचालकों को सख्त निर्देश दिए हैं।
जो भी डेयरी शिफ्ट नहीं हो सकीं हैं उन्हें भी डेयरी काम्प्लेक्स कन्हेंली रोड पर जाने के लिए कहा गया है। वहीं, शहरी जनता भी चाहती है कि डेयरी शहर से शिफ्ट हों, लेकिन यह कार्य पिछले 10-12 साल से अधर में लटका हुआ है।