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हरियाणा की इस छोरी ने शरीर तपाकर खुद को ऐसा तराशा कि बनीं कुश्ती चैंपियन, भीम अवार्ड से होंगी सम्मानित

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जीवन में कामयाबी ऐसे ही नहीं मिलती इसके लिए शरीर को खूब तपाना पड़ता है। यह कहना है भीम अवार्ड के चुनी गई पहलवान अनीता श्योराण का। करनाल मधुबन पुलिस अकादमी में इंस्पेक्टर पद पर तैनात अनीता ने 38 साल की उम्र में भी कुश्ती को नहीं छोड़ा है। अपने करियर में मुकाम हासिल करने वाली अनीता का एक ही सपना है कि चूल्हे-चौके से निकलकर गांव की बेटियां भारत का नाम रोशन करें। भिवानी के धानीमाहू गांव वासी पिता दलीप श्योराण और माता संतोष देवी के घर 24 नवंबर 1984 को जन्मी अनीता ग्यारह बार लगातार राष्ट्रीय गोल्ड मेडल विजेता रही है। बचपन से ही अनीता का सपना देश सेवा करने का था जिसके लिए कुश्ती को चुना।

अनीता देवी को भीम अवार्ड मिलने से जहां पुलिस विभाग में खुशी है वहीं स्वजनों को भी अपनी बेटी पर गर्व है। अनीता ने गांव के राजकीय हाई स्कूल में दसवीं तक पढ़ाई की। गर्वनमेंट कालेज भिवानी में ग्रेजुएशन के लिए दाखिला लिया। खुद के प्रयास से वर्ष-2003 हरियाणा पुलिस में भर्ती होने के बाद करनाल मधुबन में पोस्टिंग मिली।

पुलिस विभाग की तरफ से खेलों में मेडल की संख्या बढ़ाने पर अनीता को वर्ष-2012 में इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति दी गई। सोनीपत के गांव खंदराई वासी नवीन शहरावत के साथ 23 मार्च 2015 का अनीता की शादी हुई। खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग में कोच नवीन इस समय पानीपत में स्वीमिंग सिखाते हैं। पांच वर्षीय बेटा आर्यवीर भी स्वजनों का लाडला है।

कुश्ती के लिए बेटियां को तैयार करना ही लक्ष्य

साधारण परिवार में जन्मी अनीता बचपन से ही घर में माता-पिता के साथ काम में हाथ बंटाती थी। खेतों से पशुओं के लिए चारा लाना और दूध दोहना दिनचर्या में शामिल था। मेहनत के कारण 11वीं कक्षा में कुश्ती में हाथ आजमाने की इच्छा हुई। मजबूत पकड़ काे देखते हुए गुरुजनों ने भी अनीता को प्रोत्साहित किया और फिर जीत का सिलसिला आज तक जारी है।

अपने बीते पलों को याद कर अनीता बताती है कि बेटियां को कामयाब बनाना ही उसका लक्ष्य है। शादी के बाद जब वर्ष-2017 में बेटे आर्यवीर ने जन्म लिया तो खेल पाना आसान नहीं था। उस वक्त सास राजबाला और ससुर सुधीर सिंह ने हिम्मत दी। ससुराल पक्ष के सहयोग से ही कुश्ती मुकाबलों की राह आसान होती चली गई।

सोना जीतने की झड़ी

लगातार सीनियर नेशनल मुकाबलों में 11 बार गाेल्ड जीतने के साथ-साथ नेशनल गेम्स में तीन गोल्ड हासिल करने वाली अनीता 63 किलोग्राम वजन में फ्री स्टाइल कुश्ती मुकाबलों की खिलाड़ी हैं। अपने करियर में 67 किलोग्राम कर बेटियां की शान बढ़ाई।

  • वर्ष-2010 में दिल्ली में आयोजित काम्नवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता।
  • एशियन चैंपियनशिप वर्ष-2008 में 59 किलोग्राम भारवर्ग और वर्ष-2016 में 63 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य मेडल हासिल किया।
  • कामनवेल्थ चैंपियनशिप में 67 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य, वर्ष-2009 और वर्ष-2011 में 63 किलोग्राम व वर्ष-2013 में 67 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर जीता।

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