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खून-पसीने से सींची अपनी बंजर जमीन को हरियाणा के किसान ने बनाया उपजाऊ, अब कर रहा है लाखों की कमाई

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जब मन में कुछ करने की ठान लेते हैं तो उसे पूरा लिए बिना चैन नहीं आता। अपने आत्मविश्वास से तो इंसान पहाड़ तक हिला सकता है। हरियाणा के एक किसान ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से इस किसान ने अपनी बंजर जमीन उपजाऊ बना दिया। कुछ साल पहले तक जो जमीन 20 हजार सालाना भी नहीं दे पाती थी, वह अब लाखों रुपए की पैदावार कर रही है। बीए पास किसान पवन कुमार सिहाग ने अपने पिता के साथ मिलकर बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर सबको हैरान कर दिया है। अपनी साढ़े 10 एकड़ की जमीन में वह गेंहू और नरमा की पारंपरिक खेती छोड़ कर बागवानी कर रहे हैं।

पवन ने बताया कि उनकी साढ़े 10 एकड़ जमीन वीरान पड़ी हुई थी। उसमें पानी का भी कोई खास प्रबंध नहीं था। जिसकी वजह से खेती में पैदावार नाममात्र ही हो पाती थी। जिस कारण वह पारंपारिक खेती से आर्थिक रूप से मजबूत होने की बजाय और भी ज्यादा कमजोर हो रहे थे।

एक दिन हिसार यूनिवर्सिटी में उन्हें खेती-बाड़ी कार्यक्रम में बागवानी से संबंधित कई गुना आमदनी होने के बारे में जानकारी मिली तो उसी दिन उन्होंने पारंपारिक खेती को त्याग दिया। इसके बाद पवन ने दो एकड़ में बाग लगाया और एक साल बाद ही बाग में आय पहले की फसलों से दोगुना हुई।

लोगों को दे रहे रोजगार

आपको बता दें कि गांव बैजलपुर के पवन सिहाग कई बार सरकारी नौकरी के लिए फार्म भरकर परिणाम आने का इंतजार करता था, पर सफलता न मिल पाने के कारण मायूस हो जाता था। लेकिन उद्यान विभाग के कार्यक्रम ने पवन की जिंदगी ही बदल दी। जहां पहले पवन कुमार नौकरी के लिए दर दर भटकता था। आज वह खुद 30 से अधिक लोगों को बागवानी के कार्य में रोजगार दे रहा है। इसके अलावा अस्थाई तौर पर कई कर्मचारी जरूरत के अनुसार बाग में कार्य पर आते रहते हैं।

नर्सरी के कारोबार से कमा रहे करोड़ों

आपको बता दें कि केवल बागवानी से ही नही बल्कि किसान पवन कुमार नर्सरी के भी करोड़ों कमा रहे हैं। वह नर्सरी में प्रति वर्ष लाखों पौधे तैयार कर रहे हैं जिनसे उनकी खून ऐ हो रही है।

किसान ने बताया कि वर्तमान सीजन के लिए दो लाख हिसार सफेदा के कलमी पौधे तैयार किए हैं। उपरोक्त क्वालिटी के पौधे का बाजार भाव 80 रूपये के करीब प्रति पौधा है। अगर दो पौधे बिकते हैं तो एक करोड़ 60 लाख रुपये लागत सहित प्राप्त होंगे। जबकि 60 हजार पौधे आडू के तैयार किए गए हैं। इस पौधे का भी बाजार भाव लगभग 80 रूपये ही है, जिसकी लगभग 48 लाख रुपये खर्चा सहित मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि कलमी पौधा तैयार करने में सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि पूरा पौधा उनकी नर्सरी में ही तैयार होता है। जबकि कुछ लोग बाहर से पौधों को खरीद कर बेच रहे हैं। हिसार सफेदा कलमी पौधे की डिमांड बड़े स्तर पर है और किसान लगातार जागरूक होकर बागवानी की तरफ रूझान बढ़ा रहे हैं।

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