आज के इस आधुनिक युग में, जहां काफी बच्चे अपने मोबाइल पर गेम खेलकर अपना समय नष्ट कर देते हैं, वहीं कई ऐसे भी होनहार बच्चे हैं, जो डिजिटल प्लेटफार्म पर अपना जलवा बिखेर रहे हैं।
इसे ईश्वर का उपहार या वरदान कहें या फिर जीवन में आगे बढ़ऩे की ललक कि झज्जर के गांव झासवा के 12 साल के मासूम कार्तिकेय ने मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय ग्राफिक्स और कोडिंग सीखकर तीन लर्निंग ऐप बना डाले।
कार्तिकेय झज्जर के जवाहर नवोदय विद्यालय की 8वीं कक्षा का छात्र है और 8वीं की पढ़ाई के साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कम्पयूटर साइंस से बीएससी की ऑनलाइन पढ़ाई भी कर रहा है।
कार्तिकेय के हुनर को देखते हुए ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इतनी कम उम्र में कार्तिकेय को बीएससी कम्पयूटर साइंस का एक साल का कोर्स करा रही है. कार्तिकेय वहां से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है।
उधर कार्तिकेय की इस उपलब्धि पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उसे इंडिया यंगेस्ट ऐप डेवलपर का अवार्ड दिया है। ग्रामीण परिवेश में जन्में कार्तिकेय अपनी इस उपलब्धि पर काफी खुश है।
उनका सपना है कि इस डिजिटल युग में इस प्रकार के ऐप बनाकर वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजीटल इंडिया के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सके।
कार्तिकेय कहते हैं कि उनके द्वारा बनाए गए लर्निंग ऐप उन गरीब बच्चों के लिए निशुल्क हैं, जोकि आर्थिक कमजोरी की वजह से न तो अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं और न ही कोई कोचिंग ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि उनका पहला ऐप कोडिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग सिखाने के लिए बनाया गया है, जबकि दूसरा ऐप लुसेंट जीके हिंदी ऑफलाइन ऐप बनाया है।यह जीके के लिए है।
कार्तिकेय ने बताया कि उस द्वारा बनाए गए तीसरे ऐप की लॉन्चिंग पिछले सप्ताह की 13 जुलाई को की गई है। कार्तिकेय की इस उपलब्धि का जब हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यन्त चौटाला को पता चला तो उन्होंने बीती देर शाम कार्तिकेय को फोन पर उसे व उसके पिता को बधाई दी और उसके उज्जवल भविष्य की कामना की।