कहा जाता है कि एक सफल पुरुष के पीछे स्त्री का हाथ होता है, लेकिन झारखंड की एक महिला के मामले में कहानी इसके उलट है। सफल होने पर वह ज़रूर कहेगी कि उसकी सफलता में एक पुरुष का हाथ है। उस महिला के लिए उसके पति ने काम ही कुछ ऐसा किया है। आठवीं तक पढ़े और रसोइया का काम करने वाला शख्स पत्नी को टीचर बनाने के लिए हर मुमकीन कोशिश कर रहा है।
कोशिश ऐसी कि अपनी गर्भवती पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए 1300 किलोमीटर तक स्कूटी चलाकर परीक्षा केंद्र पहुँचाया। झारखंड के गोड्डा जिला के रहने वाले धनंजय मांझी अपनी गर्भवती पत्नी को डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी चलाकर झारखंड के गोड्डा से मध्यप्रदेश के ग्वालियर पहुंच गये।
बता दें कि धनंजय झारखंड के गोड्डा जिले के गांव गन्टा टोला के रहने वाले हैं और यह बांग्लादेश की सीमा से बमुश्किल 150 किलोमीटर दूर है। आपको बता दे कि पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए धनंजय ने करीब 1300 किमी स्कूटी चलाई और झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी-मैदानी रास्तों को पार करते हुए मप्र के ग्वालियर पहुंचे।
इस दूरी का सफर करने वाले धनंजय ने बताया कि दोपहिया से लंबे रास्ते में तेज बारिश होने पर हम एक पेड़ के नीचे दो घंटे तक खड़े रहे। इस पूरी यात्रा में सोनी मांझी अपने पति के पीछे बैठी रहीं ताकि वो अपने डिप्लोमा के दूसरे साल की परीक्षा दे सकें।
वहीं यात्रा के लिए पैसे ना होने की वजह से सोनी को अपने गहने गिरवी रखने पड़े। सोनी मांझी गर्भवती हैं और उनको सात महीने हो चुके हैं, दोनों अपने घर से एक रेनकोट के सहारे निकले।
हालांकि दशरथ इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं थे लेकिन सोनी अपना एक साल बर्बाद नहीं करना चाहती थीं। दशरथ ने बताया कि वो स्कूल ड्रोपआउट हैं और सोनी ने अपना एक साल पूरा कर लिया है।