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लॉकडाउन में बंद हुआ जीवन भर की कमाई से खोला हुआ रेस्ट्रॉन्ट तो बेचने लगे चोले कुलचे, अब काम रहे है 2000 रुपये महीना

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देश में लगे लॉकडाउन की वजह से काफी लोगों को नुकसान हुआ है। बहुत से लोगों की नौकरी तक चली गयी। ऐसे में जीवन चला पाना काफी मुश्किल हो गया है। आज एक ऐसे ही शख्स की बात करने जा रहे है जिन्होंने खूब मेहनत कर अपने सपने को पूरा किया लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और लॉकडाउन लग गया।

दरअसल दिल्ली के रहने वाले दीपक 9 सालों से नौकरी कर रहे थे लेकिन उनका सपना था कि वो एक रेस्टॉरेन्ट खोले, फिर उसने अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर एक रेस्टॉरेन्ट खोला लेकिन उनकी किस्मत ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई।

5 महीने बाद ही लॉकडाउन लग गया और सारा मामला ठप पड़ गया। इन सब हालातों के बीच दीपक ने हार नहीं मानी और उसने फिर से नया कुछ करने को सोचा और छोले कुलछे बेच अपना जीवन सामान्य  कर लिया।

दीपक छाबड़ा जो दिल्ली के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें परेशानियाँ झेलनी पड़ी है। जब दीपक का जन्म हुआ था तब उन्हें काफ़ी तेज बुखार हुआ। डॉक्टर से दिखाने पर उन्होंने ग़लत इंजेक्शन लगा दिया, जिससे दीपक के दिमाग़ पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

काफ़ी इलाज़ चला, उसके बाद इनके माँ बाप इन्हें गुरुद्वारा ले गए। उसके बाद दीपक के स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार आया। दीपक अब बोलने भी लगे थे, लेकिन अभी भी इन्हें शारीरिक समस्याएँ थी। इनके कमर में रॉड भी डाला गया। इस तरह इनका बचपन काफ़ी मुश्किलों में गुजरा।

जैसे तैसे करके दीपक ने अपनी पढ़ाई कर नौकरी की। आपको बता दे कि रेस्टोरेंट बंद होने के बाद 1 महीने तक पॉकेट से ही वर्कर्स की सैलरी और किराया देना पड़ा। एक बार फिर से इनकी सारी पूंजी ख़त्म हो चुकी थी।

फिर दीपक मार्किट में घूम कर सर्वे किया और जाना कि उसे आगे क्या करना चाहिए। उसके बाद उसने छोले कुलछे लगाने के बारे में सोचा और मेहनत उसे खूब आगे बढ़ाया।

इसी के साथ ग्राहकों का भी अच्छा रिस्पांस मिला। अब दीपक को रेस्टोरेंट के बंद होने का कोई अफ़सोस नहीं है। अब उनका एक लक्ष्य है एक बड़ी गाड़ी खरीदना और उसी से छोले कुलचे बेचना।

Anila Bansal
Anila Bansal
I am the captain of this ship. From a serene sunset in Aravali to a loud noisy road in mega markets, I've seen it all. If someone asks me about Haryana I say "it's more than a city". I have a vision for my city "my Haryana" and I want people to cherish what Haryana got. From a sprouting talent to a voice unheard I believe in giving opportunities and that I believe makes a leader of par excellence.

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