बॉलीवुड में क्रिकेटर्स की जर्नी पर बायोपिक बनाई जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी आत्मकथा सुनाने वाले है जिसे सुनकर आप भाविका जायेंगे। एक क्रिकेट जिसने बालक बुद्धि में ही सहा ढेरों दुख दर्द लेकिन आज इंडियन क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर खिलाड़ी है। जी हां हम बात कर रहे है रवींद्र जडेजा की। एक ऐसा खिलाड़ी जिसकी बैटिंग, बॉलिंग, फील्डिंग की कायल है दुनिया। लेकिन इनकी लाइफ का एक डार्क साइड हम सब से छुपा है। आइए जानते है क्या है वो डार्क साइड?
17 साल की उम्र मां का हुआ निधन
रवींद्र जडेजा जब 17 साल के थे तब उनके सिर से मां का साया छीन गया। एक मां को हमेशा अपने बच्चे को सफल होते देखना चाहती है, लेकिन जडेजा की मां अपने बेटे की सफलता को अपने जीते जी में नहीं देख पाई। दरअसल 2005 में जडेजा की मां लता का एक्सीडेंट हो गया, जिसमें उनकी मौत हो गई।
गार्ड की नौकरी करते थे जडेजा
मां की मृत्यु के दुख में जडेजा ने क्रिकेट खेलना ही छोड़ दिया। अपने आप को क्रिकेट से दूर कर लिया। जडेजा के पिता प्राइवेट कंपनी में एक मामूली सी गार्ड की नौकरी किया करते थे। घर बुरी तरह से आर्थिक तंगी से जूझ था था। लेकिन बड़ी बहन ने सब संभाल लिया और जडेजा को क्रिकेट से फिर मिलवाया।
बड़ी बहन की बदौलत बने भारतीय क्रिकेटर
2006 में अंडर-19 विश्व कप से ठीक एक साल पहले 2005 में उनकी मां का निधन हुआ। उनकी मां की मृत्यु के बाद उन्होंने लगभग क्रिकेट छोड़ दिया था। रवींद्र जडेजा की मां का निधन हो जाने के बाद उनकी बड़ी बहन नैना ने उनको सहारा दिया और परिवार को भी संभाला। जिसके बाद जडेजा ने फिर से क्रिकेट खेलना शुरू किया।