नई दिल्ली में राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद साल 2019 के बारे में कहा था, कि 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है। 2 अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई। इसी के तहत, मध्य प्रदेश का इंदौर शहर लगातार चौथी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर चुना गया है।
दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत औ तीसरे नंबर पर नवी मुंबई रहा। केंद्रीय नगरीय विकास एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसका ऐलान किया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी ने स्वच्छ महोत्सव कार्यक्रम के तहत उन लोगों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की जिन्होंने स्वच्छ भारत अभियान में अहम भूमिका निभाई।

बता दें, सबसे पहले सर्वेक्षण में देश के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मैसूर को मिला था। उसके बाद से इंदौर लगातार तीन साल तक (2017, 2018, 2019) में शीर्ष स्थान पर रहा था।
और अब हम जिस IAS का ज़िक्र आपके सामने करने जा रहे हैं, दरअसल उन्होंने, इस स्वस्थ भारत अभियान के तहत ज़बरदस्त भूमिका निभाते हुए कूड़े-कचरे के ढेर को करोड़ों में बदल दिया और सरकार को ख़ूब फायदा कराया।

चलिए आज इनके बारे में आपको और बताते हैं। बतादें इंदौर शहर के इस स्वच्छता अभियान की मुख्य डोर IAS ऑफिसर आशीष सिंह के हाथो में थी। आशीष इंदौर मुंसीपल कमिश्नर भी हैं। वे पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से काफी प्रेरित हुए और उन्होंने हर हाल में अपने शहर इंदौर को साफ़ सुथरा बनाने की ठान ली।

पिछले कुछ सालो से इंदौर शहर के हर गली मोहल्ले का कचरा वहां से साफ़ करवा कर एक जगह एकत्रित किया जा रहा था। ऐसे में ये कचरा बढ़ते बढ़ते 13 लाख टन के ढेर में परिवर्तित हो गया।

इस कचरे के ढेर ने शहर की एक बहुत बड़ी जमीन रोक रखी थी और ये सफाई की दृष्टि से भी अच्छा नहीं दिखाई दे रहा था। यदि आशीष बाहर से कोई एक्स्ट्रा मदद बुलाते तो इस काम के लिए उन्हें 65 करोड़ रुपए तक खर्च करने पड़ जाते। लेकिन इतना अधिक बजट ना होने के कारण आशीष ने लोकर सोर्स से ही मदद ली और थोड़ी जुगाड़ लगाते हुए इस कचरे के ढेर को साफ़ करवा दिया। 13 लाख टन के इस कचरे को साफ़ करवाने में उन्हें और उनकी