हम अपने पूरे जीवन में कोई ना कोई ऐसा काम जरूर कर देते हैं, जो हमें वर्तमान के साथ ही भविष्य में भी खूब लाभ देता है। जैसे हरियाणा के हिसार जिले के गांव किराड़ा के रहने वाले किसान भूप सिंह सैनी ने कुछ समय पहले ऐसा ही एक काम किया, जो उन्हें अब खुब लाभ दे रहा हैं।
दरअसल कुछ समय पहले भूप सिंह ने परंपरागत खेती छोड़कर फूलों की खेती करने का फैसला किया। उनके इस फैसले ने आज उनकी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है।
फूलों की खेती से आज भूप सिंह प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा कमा रहा है।
भूप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि, वह केवल आठवीं पास है। दूसरी फसलों पर बचत न मिलने की वज़ह से उनका घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया था। जब साल 2015 में वह एक कार्यक्रम में गए थे, तो वहां पर लोगों ने उन्हें मान सम्मान में पहली बार गेंदे के फूलों की माला पहनाई थी।
वह अपनी इस माला को घर ले आएं और उसके बीज सूख जाने पर उन्होने घर पर एक छोटी सी क्यारी बनाकर इन बीजों का छिड़काव कर दिया। कुछ समय बाद इन बीजों के पौधे बन गए और इन मे से फूल खिल गए। इन फूलों ने अपनी मेहक से पूरे वातावरण को सुगंधमय कर दिया।
इसके बाद से विवाह समारोह, नवरात्र में भूप सिंह के घर से ही फूल जाने लगे। जब उसे इस मे लाभ दिखने लगा तो उसने सब कुछ छोड़ कर फूलों की खेती करने का मन बना लिया। कुछ विशेषज्ञों से राय लेकर उसने गेंदे के फूलों की खेती करना शुरू कर दिया और अब वह पिछले 4-5 सालों से गेंदे की खेती कर रहा है।भूप सिंह सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि,” गेंदे की खेती करनें में परंपरागत खेती के मुकाबले कम खर्च आता हैं। बाकी फसलों की तुलना में इसकी फसल थोड़े समय में ही तैयार हो जाती है।”वहीं गेंदे की बुआई भी एक साल में तीन बार की जा सकती है।
बता दें कि आमतौर पर खरीफ सीजन में गेंदे की रोपाई जून-जुलाई में की जाती है, लेकिन जहां पर पानी की उपलब्धता होती है वहा पर किसान अगस्त तक इसकी खेती कर सकते हैं। वहीं अक्तूबर से फरवरी तक फूल आने का समय आ जाता है। इसकी खेती सर्दी, गर्मी एवं वर्षा तीनों मौसम में आसानी से की जा सकती है।।
भूप सिंह के अनुसार एक एकड़ में 10-15 हजार रुपये की लागत लगाई जाती है, जिससे करीब 7-8 क्विंटल तक फूल मिल जाते हैं। ये फूल मार्केट में 40 से 100 रुपये किलो तक बिक जाते हैं। इस हिसाब से उन्हें 25 से 30 हजार रुपये प्रति एकड़ मुनाफा हो जाता है।इसके अलावा भूप सिंह ने बताया कि, उनके फूलो की बिक्री गांव के साथ ही हिसार के शहर बरवाला, हांसी, आदमपुर, अग्रोहा तक होती हैं। इतना ही नहीं दिवाली के दौरान तो उनके फूल बड़ी मंडियों तक भी जाते हैं।