लोग सरकारी नौकरी के लिए तरसते हैं। लेकिन इस परिवार में है सरकारी नौकरियों की खान। दौर महंगाई का है। दौर भाग दौड़ का है। दौर मॉडर्न इंडिया का है। और बदलते समय के बदलते मिजाज का है। हालात जो कुछ भी हैं, हर कोई उन हालातों से वाकिफ है। परिस्थिति बहुत पेचीदा वाली है, क्योंकि जिंदगी को जीने के लिए इंसान को 2 जून की रोटी सिर पर छत और पहनने के लिए कपड़े इसकी जरूरत होती है।
और अगर मोटा माटी बात की जाए तो एक जिंदगी को जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान इन चीजों की जरूरत होती है। साथ साथ जो कुछ लोग पढ़ लिख जाते हैं या पढ़े लिखे होते हैं तो वो सरकारी नौकरी की कोशिश करते हैं।
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लेकिन बहुत ही सौभाग्यशाली लोगों को सरकारी नौकरी मिल पाती है। बहुत कम लोगों को सरकारी नौकरी मिल पाती है। अपने जीवन को चलाने के लिए न जाने कैसे कैसे काम करते हैं लोग। अपने जीवन को फलीभूत करने के लिए किस-किस पायदान पर चले जाते हैं लोग।
जिन सरकारी नौकरियों की तलाश में लोग दर-दर की ठोकरें खाते हैं भटकते हैं उस सब के बावजूद भी सरकारी नौकरियां नहीं मिल पाती, और जैसे तैसे लोग अपना गुजर-बसर करते हैं, अपनी जिंदगी को चलाने के लिए।
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अब ऐसे में हम एक ऐसे परिवार का किस्सा आपको सुनाने जा रहे हैं एक ऐसे परिवार को आपके सामने करने जा रहे हैं इस खबर के माध्यम से, जिसे सुनकर आप बहुत खुश होंगे और आप यह भी सोचेंगे कि जब इस परिवार में ऐसा हो सकता है तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
बस दोस्तों थोड़ी लगन और चिंतन की जरूरत होती है मनन की जरूरत होती है।
उसके बाद किसी भी चीज को हम पा सकते हैं। दोस्तों ये कहानी एक ऐसे परिवार की है जिसमें आईएएस अधिकारी हैं, आईपीएस अधिकारी हैं। चलिए अब विस्तार से आपको बताते हैं।
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बतादें चौधरी बसंत सिंह श्योंकद इनके परिवार को हरियाणा में सरकारी नौकरी की खान कहा जाता है। अकेले उनके परिवार ने इस देश को 2 आईएएस और 1 आईपीएस ऑफिसर के अलावा क्लास वन के 11 ऑफिसर दिए हैं। चौधरी बसंत सिंह बीते मई में दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। चौधरी बसंत सिंह का परिवार हरियाणा के जींद जिले के डुमराव कला गांव का रहने वाला है।
चौधरी बसंत सिंह के चारों बेटों ने क्लास वन ऑफिसर बन कर दिखाया है। चौधरी बसंत सिंह का एक बेटा IAS बन गया और उनकी एक बहू भी आईएस बन गई है उनकी एक पोती है वह भी आईपीएस बन गई है उनकी दोहती भी आईआरएस बन गए हैं।
रामकुमार श्योकन्द जोकि बसंत सिंह के बड़े बेटे हैं और जो कॉलेज प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए हुए हैं इनके बेटे यशेंद्र भी आईएस हैं और फिलहाल रेवाड़ी में डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर के तौर पर सेवा दे रहे हैं।
इनकी बेटियां स्मिति चौधरी भी आईपीएस बन चुकी हैं इस वक्त रेलवे एसपी के तौर पर अंबाला में उनकी तैनाती है। वहीं उनकी पत्नी जयवंती भी आईएस रह चुकी हैं वहीं स्मिति के पति राजेश कुमार भी बीएसएफ में आईजी के पद पर मौजूद है।
बसंत सिंह की बड़ी बेटी बिमला के पति इंद्र सिंह एडवोकेट हैं। इनके बेटे अनिल ढुल बीबीएमबी में एसई विजिलेंस हैं। दूसरी बेटी कृष्णा प्रिंसिपल पद से रिटायर हो चुकी हैं।
कृष्णा की शादी रघुबीर पंघाल से हुई, जो आर्मी में मेजर रहे और सेना से रिटायर होने के बाद एचएयू में विभागाध्यक्ष रहे। कृष्णा की बेटी दया पंघाल ईटीओ है। कुल मिलाकर, ये पूरा परिवार देश के लिए एक मिसाल है।