किसी जोड़े को खुशखबरी मिलती है कि उनके आंगन में किलकारी गूंजने वाली है तो कई ये कोशिश करते हैं कि किसी टेस्ट के ज़रिए ये पता चल जाए कि बेटा होगा या बेटी। ऐसा इसलिए क्योंकि ज़्यादातर लोग बेटे की ख्वाहिश रखते हैं। इतिहास पर नज़र दौड़ाएं तो पाएंगे कि लगभग सभी समाज पुरूष प्रधान रहे हैं। इसलिए दुनियां में बेटे की चाहत ज़्यादा मज़बूत रही है।
कई समाज में तो बेटे के जन्म के बाद परिवार में औरत का मुक़ाम भी बदलता नज़र आता है। पुराने ज़माने बेटा पैदा करने के लिए तरह-तरह के टोटक और नुस्खे आज़माए जाते थे, और अभी भी बहुत सारे समाज में आज़माए जाते है। ग्रीस में ऐसे कई नुस्खों का चलन था। जैसे यौन संबंध बनाते वक़्त मर्द पूरब की तरफ़ मुंह करके रहें।

बड़े-बूढ़े कहते रहे हैं औलाद मां के नसीब से होती है। और, किसी औरत के नसीब को चुनौती नहीं दी जा सकती। बेटे और बेटी के जन्म को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं हैं। जैसे कुछ का मानना है कि ख़राब मौसम की वजह से ज़्यादा बेटियां पैदा होती हैं।

या, रमज़ान में रोज़े रखने के दौरान अगर गर्भधारण किया जाता है तो लड़की पैदा होती है। वहीं जो रसूख वाले घराने की औरतें होती हैं उनके बेटे ज़्यादा पैदा होते हैं। या जो औरतें सुबह का नाश्ता अच्छा लेती हैं, वो भी ज़्यादातर बेटे को जन्म देती हैं।

खैर अब सुनिए एक ख़बर जिसमें बेटी के जन्म से बेख़बर किसान ने पहले ही प्लान बनाया था कि अगर बेटी हुई तो हम ख़ूब जश्न मनाएंगे, और हुआ भी कुछ ऐसा ही।

बतादें राजस्थान के नागौर जिले के निंबड़ी चांदवता गांव में एक किसान परिवार है। परिवार में 35 साल बाद बेटी का जन्म हुआ, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। बेटी के दादा मदन लाल प्रजापत ने किराए पर हेलीकॉप्टर बुक किया और नवजात को उसके ननिहाल से अपने घर लेकर पहुंचे।
इसके लिए उन्होंने फसल बेचकर पांच लाख रुपये खर्च किए। दादा मदन लाल प्रजापत ने न्यूज एजेंसी को बताया कि वे अपनी पोती के जन्म से बहुत खुश हैं। साथ ही राजस्थान के साथ देश के लोगों के ये संदेश देना चाहते हैं कि लड़कियां भी लड़कों की ही तरह प्यार और सम्मान की हकदार हैं।
और हों भी क्यों ना भाई, लड़कियां भी तो घर की शान होती हैं। माँ-बाप की जान होती हैं। कहते हैं ना कि बेटे भाग्य होते हैं तो बेटियां विधाता होती हैं।