महामारी को नियंत्रण में किया जाए और इसकी हर लहर पर काबू हो इसके लिए कोई ना कोई कोशिश सरकार लगातार करती जा रही है। इसी बीच बतादें डीआरडीओ ने हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर 2-डीजी दवा को तैयार किया है। क्लिनिकल परीक्षण में सामने आया है कि 2-डीजी दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के तेजी से ठीक होने में मदद करती है। यह कोरोना के इलाज में गेमचेंजर साबित हो सकती है। 2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में उपलब्ध होगी।इसे पानी में घोलकर पीना होता है। डीआरडीओ के अनुसार 2-डीजी दवा वायरस से संक्रमित मरीज की कोशिका में जमा हो जाती है और उसको और बढ़ने से रोकती है।
संक्रमित कोशिका के साथ मिलकर यह एक तरह से सुरक्षा दीवार बना देती है। इससे वायरस उस कोशिका के साथ ही अन्य हिस्से में भी फैल नहीं पाएगा। यह दवा लेने के बाद मरीज की अतिरिक्त ऑक्सीजन पर निर्भरता कम होगी। विशेषज्ञों के अनुसार यदि वायरस को शरीर में ग्लूकोज न मिले तो उसकी वृद्धि रुक जाएगी।

डीआरडीओ के डॉक्टर एके मिश्रा ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया कि साल 2020 में ही कोरोना की इस दवा को बनाने का काम शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि साल 2020 में जब कोरोना का प्रकोप जारी था, उसी दौरान डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने हैदराबाद में इस दवा की टेस्टिंग की थी।

दवा 2-डीजी की दूसरी खेप 28 मई को जारी की गई। जिसके बाद जल्द ही ये दवा बाजारों में भी उपलब्ध होगी। कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली 2-डीजी दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डॉ. रेड्डीज लैब के साथ मिलकर विकसित किया है।
कुछ दिनों पहले ही इस दवा की पहली खेप को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के साथ मिलकर जारी किया था। वहीं इसका दूसरा बैच डॉ. रेड्डीज लैब द्वारा जारी किया।