हुनर किसी का मोहताज नहीं होता, बस हमे अपने अंदर छुपे हुनर को पहचानने की जरूरत है। ऐसे ही हुनर की मालिक है भिवानी की दसवीं कक्षा की छात्रा रिया, आंख पर पट्टी बांधकर सिर्फ छूकर और गंध से ही किताब या मोबाइल पर क्या लिखा है, सब पढ़ पाना किसी के लिए संभव नहीं।
लेकिन छात्रा रिया यह सब कर लेती है। राजकीय कन्या महाविद्यालय (आरकेएमवी) शिमला में विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों के बीच रिया ने यह सब करके दिखाया। रिया की इस प्रतिभा को परखने के लिए मौजूद शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं के आधार कार्ड, एटीएम, पैन कार्ड, किताब, न्यूज पेपर सब उसके हाथ में देकर पढ़ने को कहा तो रिया ने पढ़कर सुना दिया। हैरानी तब हुई जब रिया ने मोबाइल पर आए मैसेज तक बिना छूए पढ़कर सुना दिए।

रिया ने बताया की यह सब उसने अपने पिता जितेंद्र जांगड़ा से सीखा है और वह पिछले चार सालों से ये सब कर रही है । रिया के अनुसार वह और उसके पिता मिल कर करीबनसाढ़े पांच सौ दृष्टिहीन या दृष्टिबाधितों को इस तरह से गंध और छूने से लिखने पढ़ने की कला सीखा रहे हैं। इसके लिए इंजीनियर जितेंद्र और उनकी बेटी को कई सम्मान भी मिल चुके हैं।

रिया के पिता जितेंद्र जांगड़ा की माने तो यह कुछ नहीं तीसरी इंद्री को जागृत करने की एक कला है। इससे एकाग्रता बढ़ती है। यह बायो इलेक्ट्रोमैगनेटिक फील्ड के तहत संभव हो पाता है। जितेंद्र ने बताया कि वह करीब 15000 लोगों को इस कला को सीखा चुके हैं।

जितेंद्र जांगड़ा हिसार के गुरु जम्भेश्वर विश्व विद्यालय में साइंटिफिक ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। रिया के इस हुनर को आरकेएमवी, कोटशेरा, सीमा, संजौली कॉलेज और कुछ स्कूलों से बुलाए करीब 200 छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने देखा। इस मौके पर आयोजक संस्था की ओर से डॉ. बृजेश चौहान और गोपाल चौहान मौजूद रहे। रिया और उनके पिता ने इसके बाद हायर एजुकेशन काउंसिल के चेयरमैन प्रो. सुनील गुप्ता से भी मुलाकात की।
