इस बार मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है। मानसून की अधिकता को देखते हुए अभी से यह अनुमान जारी कर दिया है। मानसून की रवानगी के साथ ही 14 अक्टूबर से मौसम के परिवर्तनशील होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इसके बाद से तेजी से ठंड में इजाफा होना शुरू हो जाएगा। अक्टूबर माह की शुरुआत से ही सुबह और शाम को वातावरण में ठंड का अहसास होने लगा है।
इसके साथ–साथ मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा, यूपी और बिहार में भी बारिश होने का अलर्ट जारी किया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले एक-दो दिन दिल्ली और हरियाणा में कुछ स्थानों पर गरज व चमक के साथ बारिश हो सकती है।
मानसून वापिसी में हुई देरी
मौसम विभाग ने बताया कि शुक्रवार से मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है और कहा जा सकता है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून की वापिसी होने लगी है। हालांकि मानसून को 25 सितंबर के आसपास लौट जाना चाहिए था, लेकिन इस बार इसकी वापिसी 13 दिनों की देरी से हो रही है।
पिछले साल की बात करें तो 30 सितंबर को यह लौट गया था। मानसून के लौटने में देरी होने की वजह से इस बार सर्दी की अधिकता की संभावना भी जताई जा रही है।
पिछले साल के टूटे सभी रिकॉर्ड
मौसम विभाग का कहना है कि बेशक इस बार मानसून के आने में देरी हुई है, लेकिन आने के बाद इस साल मानसून की बारिश ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। 30 जून को लौटने वाला मानसून इस साल 8 अक्टूबर तक रहा है, जिसके चलते दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में 30 प्रतिशत से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
मौसम में हो रहा है परिवर्तन
यही कारण है कि मानसून के वापिस जाने के साथ ही मौसम में परिर्वतन होने लगा है। कई इलाकों में सुबह के समय हल्की धुंध दिखाई देने लगी है और गर्मी भी अब पहले से कम होने लगी है तथा शाम के समय लोगों को ठंडक का अहसास होने लगा है।
अगर बारिश की बात करें तो पिछले सालों की तुलना में इस बार यह काफी अधिक हुई है। जुलाई में बारिश 253.1 मिलीमीटर जो सामान्य 155.3 मिलीमीटर से 68 फीसद ज्यादा बारिश, अगस्त माह में राज्य में बारिश 81.9 मिलीमीटर हुई जो सामान्य बारिश (157.2 मिलीमीटर) से 48 फीसद कम हुई।
सितम्बर में बारिश 187.5 मिलीमीटर हुई जो सामान्य 78.6 मिमी से 139 फीसद ज्यादा बारिश दर्ज की गई। अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में 9.6 मिमी बारिश हुई। जबकि इस सप्ताह में सामान्य बारिश 3.7 मिमी ही होती है।
मानसूनी बारिश
प्रदेश में मानसून की बारिश वर्ष 2003 (620 मिमी) के बाद सबसे अधिक बारिश इस वर्ष 2021 में 571.3 मिमी दर्ज की गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष मानसून की सबसे अधिक बारिश राज्य के पांच जिलों में सामान्य से बहुत अधिक जिनमें झज्जर 102 फीसद अधिक, फतेहाबाद में 89 फीसद अधिक, सोनीपत में 84 फीसद अधिक, कैथल में 80 फीसद अधिक व हिसार में 79 फीसद अधिक बारिश दर्ज की गई है।
इन जिलों में बारिश की स्थिति
जबकि नौ जिलों में सामान्य से ज्यादा, छः जिलों में सामान्य बारिश लेकिन पंचकूला (44 फीसद कम) व अम्बाला में 30 फीसद कम तथा राजधानी चंडीगढ़ में 29 फीसद सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई।
ज्यादा पड़ेगी सर्दी
इन आंकड़ों को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि इस बार सर्दी ज्यादा रहेगी और लोगों को सर्द कपड़ों की जरूरत पड़ेगी। मौसम विभाग ने कई इलाकों में बारिश होने की संभावना भी जताई है। बारिश होने के बाद से ठंड बढ़ने लगेगी, जिसके बाद तापमान में कमी होना तय है।