इस बार मंगलवार (19 अक्टूबर) शाम पांच बजे से बुधवार शाम छः बजे तक भैणीचंद्रपाल (बड़ाभैण) गांव की सीमाएं पूर्णतः सील रहेंगी। इस दौरान न तो कोई व्यक्ति इस गांव में प्रवेश कर सकेगा और न ही कोई व्यक्ति गांव से बाहर जा सकेगा। इस दौरान मंदिर को छोड़कर कहीं पर भी चूल्हा नहीं जलेगा। गांव से जुड़े सभी मार्गों को 24 घंटे के लिए बंद कर दिया जाएगा।
गांव में बंद के चलते इस गांव की सीमा से गुजरने वाला महम जुलाना मार्ग भी 24 घंटे के लिए बंद रहेगा। ग्रामीणों ने यह फैसला पंचायत में सामूहिक रूप से लिया है। सभी ने इस पर अपनी सहमति जताई है।
पंचायत की अध्यक्षता वेदप्रकाश शर्मा ने की। गांव के पूर्व सरपंच ज्ञान सिंह ने बताया कि उनके गांव में पशुओं में मुंह खुर व बुखार की बीमारी आई हुई है। बीमारी के कारण गाय व भैंस अपना गर्भ गिरा रही हैं। जिसकी वजह से पूरे गांव के पशुपालक परेशान व चिंतित हैं। सभी ग्रामीणों ने पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए गांव को बंद करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है।
हर 4–5 साल बाद ऐसा करते हैं लोग
जब भी गांव में कोई बीमारी आती है तो इस गांव में इसी तरह बीमारी को ठीक करने की परंपरा चली आ रही है। इस गांव के लोग हर 4–5 साल बाद ऐसा करते हैं। मंगलवार शाम पांच बजे ही गांव की सीमाओं पर जल से भरे घड़े से काट दी जाएगी।
गांव के सभी रास्तों पर युवाओं की ड्यूटी लगा दी जाएगी, ताकि कोई गांव से बाहर न जा सके और न ही गांव के अंदर आ सके। बुधवार के दिन गांव में किसी के घर चूल्हा भी नहीं जलेगा।
सामूहिक रूप से बनता है खाना
पहले दिन ही अगले दिन के लिए मीठी रोटियां बना ली जाएंगी। बुधवार सुबह–सुबह ही पूरे गांव का दूध गांव के तालाब पर स्थित मंदिर में पहुंचा दिया जाएगा। जहां पर सामूहिक रूप से एक बड़े कढ़ाए में खीर बनाई जाएगी। इस दिन लोहे के किसी भी औजार का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
पूरे गांव में गुग्गल धूप की धूणी की जाएगी
इस दिन कोई खेत में भी नहीं जाएगा। पहले दिन ही पशुओं का चारा खेत से ले आएंगे। मंगलवार व बुधवार को पूरे गांव में गुग्गल धूप की धूणी की जाएगी। बुधवार को मंदिर के पास हवन किया जाएगा। इस दौरान पशुओं को गंगाजल का छींटा लगाया जाएगा।