देश में महामारी की दूसरी लहर का असर काफी हद तक कम हुआ है। लेकिन संभावित तीसरी लहर ने सभी लोगों की चिंता बढ़ा रखी है। रोजाना 4 लाख से ज्यादा दर्ज किये जाने वाले मामले अब 25-30 हजार तक सिमट कर रह गए हैं। इसके साथ ही महामारी के नए स्वरूपों को लेकर भी सतर्कता बरती जा रही है। दूसरी लहर का कहर कम हुआ तो राज्यों ने लॉकडाउन हटाकर अनलॉक को चरणबद्ध तरीके से लागू कर दिया।
देश में इस भयंकर महामारी के संकट के बीच हालांकि फर्जी खबरों या फेक इनफॉर्मेशन का चलन भी काभी हद तक बढ़ गया है।

एक ऐसा ही मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक बार फिर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने का दावा किया जा रहा है। वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि संक्रमितों की संख्या बढ़ने से देशभर में लॉकडाउन लगाया जाएगा और दिवाली तक देश में सभी ट्रेन सेवाएं बंद रहेंगी। हालांकि ये सभी दावे फर्जी हैं और सरकार की तरफ से ऐसा कोई ऐलान नहीं किया गया है।

PIB फैक्ट चेक की तरफ से ट्वीट कर यह बताया गया कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है।
PIB फैक्ट चेक ने ट्वीट किया, ‘दावा: महामारी के संक्रमितों की संख्या बढ़ने से कल सुबह से देशभर में लॉकडाउन लगाया जाएगा और दिवाली तक देश में सभी ट्रेन सेवाएं बंद रहेंगी। ये दावे फर्जी हैं।’ केंद्र सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है।

साथ ही पीआईबी की तरफ से यह भी कहा गया है कि कृपया ऐसे भ्रामक संदेशों को एक–दूसरे के साथ साझा न करें। महामारी से बचाव के लिए महामारी के उपयुक्त व्यवहार अवश्य अपनाएं।
इससे पहले एक व्हाट्सएप (WhatsApp) मैसेज में दावा किया जा रहा था कि देश में रिकॉर्ड वैक्सीनेशन होने की खुशी में भारत सरकार सभी भारतीय यूजर्स को 3 महीने का रिचार्ज फ्री में प्रदान कर रही है। पीआईबी ने दावें की जांच की और पाया कि यह भी फर्जी है।

सरकार की तरफ से बार-बार अपील भी की जा रही है कि जब तक आधिकारिक घोषणा न हो तब तक भ्रामक खबरों पर यकीन न करें। इसके लिए PIB की तरफ से Fact Check की भी शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य लोगों तक सही जानकारी पहुंचाना और भ्रामक खबरों के खिलाफ सचेत करना है।

इंटरनेट पर प्रचलित गलत सूचनाओं और फर्जी खबरों को रोकने के लिए प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने दिसंबर 2019 में इस तथ्य-जांच विंग को लॉन्च किया गया था। पीआईबी का उद्देश्य ‘सरकार की नीतियों और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रसारित होने वाली योजनाओं से संबंधित गलत सूचना की पहचान करना है।’